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सनातन धर्म ही शाश्वत धर्म है -   स्वामी राघवाचार्य

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सनातन धर्म ही शाश्वत धर्म है -   स्वामी राघवाचार्य


जालौन, 29 नवंबर (हि.स.)। प्रख्यात संत डॉ. स्वामी राघवाचार्य महाराज ने दूसरे दिन की कथा में धर्म और वेदों की विषद व्याख्या की। उन्होंने कहा, सनातन धर्म ही शाश्वत धर्म है जो वेदों द्वारा प्रतिपादित है। प्रत्यक्ष और अनुमान के द्वारा जो हम नहीं जान सकते वह वेद हमें बताते हैं।

एमएलसी रमा आरपी निरंजन के गृह ग्राम रवा में चल रहे श्रीराम महायज्ञ एवं श्रीराम कथा के आयोजन में नित्य प्रति हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। यज्ञ मंडप की प्रदक्षिणा के बाद श्रद्धालु श्रीराम कथा का रसास्वादन कर रहे हैं।

कथा व्यास डॉ स्वामी राघवाचार्य महाराज ने व्यासपीठ से कहा, कथा का उद्देश्य हृदय की कठोरता का पिघलना है। तथापि कभी-कभी हंस भी लेना चाहिए, जैसा कि भगवान कृष्ण भी यही कहते हैं कि हंसना कभी-कभी ही होना चाहिए। जहां भी कथा होती है वहां हनुमानजी महाराज अवश्य ही उपस्थित होते हैं और जब तक कथा प्रवाह चलता है, उनके नेत्रों से निरंतर अश्रु निर्झरित होते रहते हैं।

उन्होंने रवा की धरती को पावन भूमि बताते हुए कहा, जहां यज्ञ और ज्ञान यज्ञ दोनों आयोजित हैं वह ऐसी पुण्य भूमि है जहां देवताओं का वास है। भगवान वेदव्यास जी भी कहते हैं, ज्ञान यज्ञ से बड़ा और कोई सत्कर्म नहीं है जिसमें भगवान की कथाओं का गायन और श्रवण होता है। उन्होंने शासन की दो व्यवस्थाएं बताईं, एक सरकार और राजा द्वारा शस्त्र से होता है जिसमें भय के कारण आत्मानुशासन होता है जबकि दूसरा शास्त्र सम्मत जिसमें प्राणी खुद से अनुशासित होता है। धर्म एक शाश्वत व्यवस्था है जो मानव के लिए परमात्मा द्वारा निर्धारित की गई है। वेद इसके संविधान हैं जो परमात्मा का शाश्वत संविधान है। वेदों का कोई रचयिता नहीं है क्योंकि इनका सृजन परमात्मा ने किया है। वेद ही समस्त धर्मों का मूल हैं और इन्हीं में सारा ज्ञान समाहित है। अंत में कथा परीक्षित रमा आरपी निरंजन ने पुराण की आरती उतारी और प्रसाद वितरित किया गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / विशाल कुमार वर्मा