राजिम कुंभ कल्पः संत समागम में बह रही संतों की अमृतवाणी

धमतरी, 24 फ़रवरी (हि.स.)।राजिम कुंभ कल्प मेला में विभिन्न स्थानों से पहुंचे संत महात्माओं ने अपनी अमृतवाणी से श्रद्धालुओं को भक्ति में डूबो दिया। राजीव लोचन महाराज ने कहा मीठे व्यक्ति से मिठास को प्राप्त करने के लिए जीवन में कड़वाहट के भाव को भी सहना पड़ता है। सत्संग के लिए कुसंग को भी समझना पड़ेगा। आज सत्संग के नाम पर कबाड़ मिल रहा है। लोग ढोंग का जीवन जीने में व्यस्त हैं।
उन्होंने आगे कहा कि हर मनुष्य को अमृत रूपी कुंभ में डुबकी लगानी चाहिए। आज महाकुंभ प्रयाग राज में कुंभ से विधर्मी को छंटनी किया गया है। वैसे ही हर घर, नगर और गली में दूषित व्यक्तियों को निकाल फेंकना जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि नवीन स्थल पर कुंभ कल्प का आयोजन हो रहा है जिससे श्रद्धालुओं को आने-जाने में असुविधा न हो इसलिए आवागमन की पर्याप्त सुविधा होनी चाहिए।
महान लक्ष्य के लिए धर्म, कर्म, भक्ति और ज्ञान आवश्यक: त्रिवेंद्रानंद महाराज
त्रिवेंद्रानंद महाराज ने कहा कि इस संसार में आया कोई भी व्यक्ति बिना एक-दूसरे के आश्रय के अकेले कुछ भी नहीं कर सकता। हमें अपने जीवन के विकास के लिए किसी न किसी का सहारा लेना ही पड़ता है। हम प्रकृति, जीव और परमात्मा का किसी न किसी रूप में आश्रय लेते हैं। धर्म, कर्म, भक्ति और ज्ञान के संचार से हम महान लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि दैवीय गुणों को अपनाइए। जब तक हम अपने धार्मिक ग्रंथ संत-महात्मा का अनुकरण नहीं करेंगे तब तक जीवन सार को नहीं ढूंढ पाएंगे।
सत्संग-भजन कीर्तन में ध्यान लगाएं: अनंतानंद महाराज
अनंतानंद महाराज ने कहा कि जब हम नोट की गड्डी को गिनते हैं। उस समय एकदम एकाग्र होते हैं। एक भी नोट छूट न जाए इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं। वैसे ही हम सत्संग, अच्छे कार्य, भजन कीर्तन में ध्यान लगाएं तो आपका कल्याण निश्चित हैं। भोग विकास पूर्ण जीवन का त्याग कीजिए और मन को शांत कर ईश्वर का हर पल स्मरण करके इस मनुज तन को सार्थक कीजिए।
संतों की वाणी कभी विफल नहीं होती - मनमोहन राज
मनमोहन राज महाराज ने कहा कि कुंभ कल्प में आए संतों के अमृत वचनों से हम भगवान के दर्शन पा सकते हैं। इस प्रकार के धार्मिक आयोजन हर जगह होते रहने चाहिए। सनातन परंपरा में दान का महत्व हैं। प्रयागराज और राजिम कुंभ को देखकर लगता है अतिशीघ्र भारत विश्व गुरु बनेगा। संतों की वाणी कभी विफल नहीं होती, उसका अनुसरण कर हम अपने जीवन को धन्य बना सकते हैं।
सप्ताह में एक दिन इंटरनेट मीडिया से दूर रहें: दानेश्वर महाराज
आचार्य दानेश्वर महाराज ने कहा कि आज की पीढ़ी इंटरनेट मीडिया रूपी ज्ञान की गंगा में डूबी हैं। आज चिंतन करना जरूरी कि हम कितना समय फालतू कामों में व्यतीत करते हैं। सप्ताह में एक दिन मोबाईल, इंटरनेट मीडिया से दूर रहने का व्रत कीजिए और परिवार के साथ मिलकर रहिए। उनसे बातें कीजिए तभी जीवन का वास्तविक आनंद ले पाएंगे।
हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा