(अपडेट) स्वास्थ्य परिदृश्य: स्वास्थ्य क्षेत्र के रूपांतरण पर विशेष सत्र आयोजित
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गुवाहाटी, 25 फरवरी (हि.स.)। एडवांटेज असम 2.0 - इन्वेस्टमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर समिट 2025 के दौरान सोमवार को स्वास्थ्य परिदृश्य: स्वास्थ्य क्षेत्र का रूपांतरण विषय पर एक महत्वपूर्ण सत्र आयोजित किया गया। इस सत्र में असम में नवाचार, आधारभूत ढांचे के विकास और रणनीतिक सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं को उन्नत करने की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया।
सत्र की शुरुआत असम सरकार के आयुक्त और सचिव सिद्धार्थ सिंह के स्वागत भाषण से हुई, जिन्होंने राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र की चुनौतियों और विकास के अवसरों पर प्रकाश डाला। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा सिंचाई मंत्री अशोक सिंघल ने राज्य सरकार की योजनाओं को प्रस्तुत करते हुए स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता, आधारभूत ढांचे में सुधार और डिजिटल हेल्थ पहलों को बढ़ावा देने की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि असम न केवल रोगी देखभाल में बल्कि वैकल्पिक चिकित्सा के क्षेत्र में भी एक प्रमुख केंद्र बनने की क्षमता रखता है।
सत्र में तीन अलग-अलग विषयों पर पैनल चर्चाएं हुईं, जिनका संचालन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के आयुक्त और सचिव डॉ. पी. अशोक बाबू ने किया।
पहले सत्र में 'रोगी देखभाल और असम में नए अवसरों' पर चर्चा हुई, जिसमें एसोचैम के अध्यक्ष डॉ. संजीव नारायण ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी को स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण साधन बताया। टाटा 1एमजी के सीओओ तमय सक्सेना ने असम के अनुकूल कारोबारी माहौल की सराहना की और हर नागरिक तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने की प्रतिबद्धता जताई।
दूसरे सत्र में 'बायोमेडिकल उपकरण, विनिर्माण और निवेश' पर चर्चा हुई, जिसमें सन फार्मा के उपाध्यक्ष अज़ादार खान ने असम के शांतिपूर्ण वातावरण और व्यवसाय-अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र को निवेश वृद्धि का प्रमुख कारक बताया। उन्होंने कहा कि 2018 में ₹300 करोड़ के निवेश से बढ़कर आज सन फार्मा का निवेश ₹800 करोड़ तक पहुंच गया है। वहीं, वॉक्सल टेक्नोलॉजीज के सीईओ अर्जुन अरुणाचलम ने स्वास्थ्य सेवाओं में तकनीकी नवाचार के महत्व पर जोर दिया।
अंतिम सत्र 'वेलनेस, आयुर्वेद, योग और आहार' पर केंद्रित रहा, जिसमें पतंजलि आयुर्वेद के डॉ. अनुराग वर्शेय ने समग्र स्वास्थ्य देखभाल में आयुर्वेद की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने रोगियों के बजाय स्वास्थ्य साधकों शब्द का उपयोग करने की सलाह दी। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के प्रो. आनंदरामन शर्मा पी.वी. ने आधुनिक और पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के समावेश की आवश्यकता पर बल दिया।
सत्र के अंत में एक इंटरएक्टिव प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किया गया, जिसमें स्वास्थ्य मंत्री अशोक सिंघल ने स्वास्थ्य नवाचार, आधारभूत ढांचे के विस्तार और रोगी-केंद्रित देखभाल से जुड़े सवालों के जवाब दिए।
हेल्थ होराइज़न्स के इस सत्र ने असम को स्वास्थ्य क्षेत्र में अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में मजबूत नींव रखी। इस चर्चा से नए साझेदारी अवसरों और दूरदर्शी पहलों को बढ़ावा मिला, जिससे राज्य का स्वास्थ्य ढांचा और अधिक सशक्त और समावेशी बनेगा।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश