सर्वपितृ अमावस्या के साथ बुधवार होगा श्राद्ध पक्ष का समापन, जलाशयों पर किया जाएगा तर्पण
जोधपुर, 1 अक्टूबर (हि.स.)। आश्विन कृष्ण अमावस्या दो अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या के रूप में मनाई जाएगी। पितृपक्ष दो अक्टूबर तक रहेगा। सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन पितरों की विदाई का दिन होता है। इसके साथ ही पिछले 15 दिनों से चले आ रहे पितृ पक्ष का भी समापन हो जाएगा। इस बार सर्वपितृ अमावस्या पर दुर्लभ मंगलकारी योग बन रहे हैं।
पं. अनीष व्यास के अनुसार अमावस्या तिथि आज रात 9.39 बजे शुरू होगी। इसका समापन दो अक्टूबर को रात 12.18 बजे पर होगा। पंचांग को देखते हुए सर्वपितृ अमावस्या बुधवार दो अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन भूले-बिसरे पितरों या जिनकी मुत्यु की तिथि याद ना हो, उन पितरों का श्राद्ध किया जाएगा। सर्वपितृ अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग का समापन तीन अक्टूबर को सुबह 6.15 बजे होगा। इसी प्रकार दुर्लभ ब्रह्म योग का भी संयोग बन रहा है।
सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होता है। इस दिन पितरों को विदाई दी जाती है इसकी वजह से इसे पितृ विसर्जन अमावस्या भी कहा जाता है। पितृ अमावस्या के दिन बड़ी संख्या में लोग तर्पण करेंगे। इस दिन उन पितरों का भी श्राद्ध किया जाता है। जिनकी मृत्यु की तिथि याद नहीं हो। ऐसे लोग भी पितृ अमावस्या के दिन उनका तर्पण और श्राद्ध करते हैं। इस दिन भोजन बनाकर कोए, गाय और कुत्ते के लिए निकाला जाता है। ऐसा माना जाता है कि अमावस्या तिथि पर किए गए श्राद्ध कर्म से पितरों को तृप्ति मिलती है और वे प्रसन्न होकर अपने पितृ लोक लौट जाते हैं। जो लोग श्राद्ध कर्म नहीं करते हैं, उनके पितर दुखी होते हैं और अपने वंश के लोगों को शाप देते हैं। पितरों की प्रसन्नता के लिए सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर श्राद्ध और दान-पुण्य जरूर करना चाहिए।
साल का दूसरा व अंतिम सूर्य ग्रहण कल, भारत में नहीं दिखेगा
इस बार पितृपक्ष की शुरुआत जहां चंद्रग्रहण के साथ हुई है, वहीं पितृ पक्ष पखवाड़े का समापन सूर्यग्रहण के साथ होगा। खास बात यह है कि जिस प्रकार चन्द्रगहण भारत में दिखाई नहीं दिया, इसी प्रकार सूर्यग्रहण भी यहां दिखाई नहीं देगा। इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। पं अनीष व्यास के अनुसार साल का आखिरी सूर्य ग्रहण एक वलयाकार ग्रहण होगा।
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश