रिम्स में दिल में छेद का हुआ सफल इलाज
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रांची, 25 फ़रवरी (हि.स.)।
रिम्स रांची के सीटीवीएस विभाग में एक 35 वर्षीय महिला का सफल ओपन हार्ट सर्जरी की गई। मरीज़ के हृदय में जन्म से छेद था, जिसे चिकित्सकीय भाषा में एंट्रीवेंट्रीकुलर सेप्टिल डिफेक्ट (एवीएसडी) कहा जाता है। इसमें दिल में दो तरह के छेद होते हैं, जिसमें एक को एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट और दूसरे को वेंट्रिक्युलर सेप्टल डिफेक्ट कहा जाता है।
साथ ही मिट्रल और ट्राइक्यूास्पीड वाल्व की बनावट में भी खराबी होती है। ऐसी बीमारी का इलाज बचपन में ही हो जाना चाहिए था, लेकिन किसी कारणवश महिला इसका इलाज अब तक नहीं करा पाई थी।
पलामू जिले से आई इस महिला को पिछले कुछ वर्षों से सांस फूलने, शरीर में सूजन और धड़कन तेज होने की परेशानी हो रही थी, जब डॉक्टरों ने उसकी इकोकार्डियोग्राफी और कार्डियक सीटी की तक उन्हें इस बीमारी का पता चला।
एवीएसडी एक गंभीर और जानलेवा दिल की बीमारी है। ऐसी बीमारी में फेफड़े का दबाव बढ़ जाता है और रोगी की जान को बचाना मुश्किल होता है।
महिला मरीज के दिल में दो छेद थे जिसे कॉमन एट्रियम और वीएसडी बोलते हैं| मरीज के फेफड़े की नस का दबाव भी काफी बढ़ गया था, दिल का आकार सामान्य की तुलना में दो गुना बढ़ गया था और दिल के चारों ओर पानी भर गया था।
पहले मरीज़ को स्थिति को दवाओं के माध्यम से स्थिर करने का प्रयास किया गया, लेकिन सुधार नहीं होने पर चिकित्सकों द्वारा जल्द ऑपरेशन करने के निर्णय लिया।
रिम्स के सीटीवीएस विभाग में मरीज़ का इलाज आयुष्मान योजना के तहत निःशुल्क किया गया। सीटीवीएस विभाग के डॉक्टरों ने मरीज़ का ओपन हार्ट सर्जरी करके उनके मिट्रल वॉल्व और ट्राइक्यूिस्पीलड वाल्व का रिपेयर करके ठीक कर दिया और दिल के दोनों छेदों को बंद कर दिया।
ऑपरेशन के बाद मरीज़ की स्थिति ठीक है और उनके लक्षणों में काफी सुधार है। मंगलवार को मरीज़ को सीटीवीएस आईसीयू के रिकवरी वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। सीटीवीएस टीम का नेतृत्व डॉ राकेश चौधरी ने किया। टीम में निश्चेतना विभाग से डॉ शिव प्रिये, डॉ मुकेश कुमार, सर्जरी विभाग से डॉ पूर्वा, डॉ रवीना, डॉ पशुपति और डॉ प्रिया शामिल थीं।
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हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pathak