बस्तर दशहरा मनाने के लिए समिति ने राज्य सरकार को डेढ़ करोड़ का भेजा प्रस्ताव
जगदलपुर, 5 सितंबर (हि.स.)। बस्तर जिले के कलेक्टर विजय दयाराम ने गुरुवार को जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्ष रियासत कालीन बस्तर दशहरा के परंपराओं के निर्वहन के लिए लगभग डेढ़ करोड़ रुपये खर्च हाेने का अनुमान है। डेढ़ करोड़ रुपये में चावल-17 लाख, किराना- नौ लाख, रसूम, बिदाई रसूम-चार लाख रुपये, मंदिर व रथ बिजली सजावट, एलईडी- 32 लाख 10 हजार, कुर्सी, शामियाना, टेंट व अन्य-19 लाख 50 हजार, गाड़ी मरम्मत व अन्य गाड़ी किराया 16 हजार 500, डीजल - 8 लाख 20 हजार, लोहा- 38 हजार रुपये, फल, फूल और भोग मिठाई- चार लाख 81 हजार 500 रुपये रथ, रस्सी व कपड़ा सिलाई- तीन लाख, मंदिरों में रंगाई व पुताई- 6 लाख 60 हजार, कपड़ा 11 लाख 50 हजार, फटाखे -6 लाख, प्रचार प्रसार व स्टेशनरी सामग्री-3 लाख, रथ लकड़ी के लिए लकड़ी चिरान-2 लाख 80 हजार रुपये और अन्य खर्च 8 लाख रुपए है। उन्हाेंने बताया कि बस्तर दशहरा महापर्व मनाने के लिए समिति ने राज्य सरकार को डेढ़ करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा है। पिछले वर्ष एक करोड़ 44 लाख 63 हजार 298 रुपये खर्च हुए थे। समिति के सदस्यों ने बताया कि इस साल दशहरा मनाने में करीब एक करोड़ 50 लाख 16 हजार रुपये खर्च होने का अनुमान है।
कलेक्टर विजय दयाराम ने बस्तर दशहरा समिति को दसरा पसरा की भी जानकारी देते हुए बताया कि दसरा पसरा में प्रशासन ने आदिवासी जनजातियों के संस्कृति एवं इतिहास के संरक्षण के लिए भवन निर्मित किया गया है। साथ ही संस्कृति और इतिहास के संबंध में ऑडियो-विजुअल प्रस्तुति दी जाएगी। सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए खुला सभागार, कैफेटेरिया और संचालन समिति हेतु प्रशासनिक भवन के रूप में उपयोग करने की बात कही। बस्तर दशहरा मनाने के लिए हर साल करीब 200 पेड़ काटे जाते हैं। इसके चलते जिला प्रशासन एक पेड़ बस्तर के देवी-देवताओं के नाम का अभियान चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम में नकटी सेमरा में 250 पौधे लगाए गए हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे