आकाशवाणी का नया ट्रांसमीटर टावर लगाने में चार महीने का लगेगा समय
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जगदलपुर, 26 फ़रवरी (हि.स.)। बस्तर संभाग का सबसे ऊंचा और पुराना आकाशवाणी का ट्रांसमीटर टावर पांच दिन पहले धराशाई हो गया है। इसके चलते रेडियो सुनने वाले हजारों ग्रामीण का मनोरंजन नहीं हो पा रहा है। ग्रामीणों के पास एफएम सिस्टम या मोबाइल एप पर रेडियो सुनने की सुविधा अधिकांश ग्रामीणों के पास नहीं है। आकाशवाणी कार्यालय जगदलपुर से मिली जानकारी के अनुसार नया ट्रांसमीटर टावर खड़ा करने में कम से कम चार महीने का समय लगेगा। इसके चलते हजारों ग्रामीण भी चार महीने तक स्थानीय कार्यक्रम नहीं सुन पाएंगे। इधर आकाशवाणी से लोकगीत, लोक संगीत आदि का प्रसारण अचानक बंद होने से ग्रामीण मायूस हो गए हैं। बस्तर के गांवों में भी टेलीविजन पहुंच गया है, किंतु ग्रामीणों में रेडियो अभी भी सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। वे रेडियो को बाकायदा बच्चों की तरह कपड़ा अर्थात आवरण पहनाकर सुरक्षित रखते हैं।
उल्लेखनीय है कि पांच दिन पहले 1977 में शुरू हुआ मारेगा का 168 फीट ऊंचा आकाशवाणी का ट्रांसमीटर टावर तेज हवाओं के थपेड़े से गिर गया है। पठार में स्थापित 100 किलोवॉट के इस ट्रांसमीटर से प्रसारित होने वाले कार्यक्रम बस्तर के अलावा शिमला तक सुने जाते हैं। टावर के गिरने से आकाशवाणी जगदलपुर के कार्यक्रम एफएम और मोबाइल एप पर तो आ रहे हैं, किंतु रेडियो पर इनका प्रसारण थम गया है। बस्तर वासियों का मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन रेडियो है। जिससे वे अपने परंपरागत गीत-संगीत के अलावा विभिन्न जानकारियां भी प्राप्त करते रहे हैं, किंतु पिछले पांच दिनों से आकाशवाणी का टावर धराशाई होने से हजारों बस्तर के ग्रामीणाें के मनोरंजन के साधन में बड़ा व्यवधानआ गया है।
जगदलपुर आकाशवाणी केन्द्र का उद्घाटन 22 जनवरी 1977 को तत्कालीन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्यामचरण शुक्ल ने किया था। उस समय आकाशवाणी पर पहला गीत पानी मारी गला झाई प्रसारित हुआ था। यह पारंपरिक गीत आज भी बस्तर संभाग में सबसे ज्यादा चर्चित और लोकप्रिय है।
हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे