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बजट सत्र : शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने की कोई योजना नहीं : संदीप सिंह

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बजट सत्र : शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने की कोई योजना नहीं : संदीप सिंह


- शिक्षामित्रों को उनके मनमाफिक मिलेगा स्थानांतरण

लखनऊ, 24 फरवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश विधान सभा बजट सत्र के छठवें दिन मंगलवार को प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने समाजवादी पार्टी के विधायक की तरफ से पूछे गए सवाल के जवाब में कहा है कि प्रदेश में शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने की कोई योजना नहीं है। हमारी सरकार ने ही साढ़े तीन हजार रुपये से बढ़ाकर 10 हजार रुपये प्रति माह मानदेय किया है। इसके साथ ही उनके लिए राहत की एक और बात है कि अगले शैक्षिक सत्र में हर शिक्षा मित्रों को उनकी मर्जी का तबादला मिल सकेगा। इसकी व्यवस्था की गयी है।

समाजवादी पार्टी के विधायक राकेश वर्मा ने प्रश्नकाल के दौरान कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार में हमने शिक्षामित्र को सहायक अध्यापक बनाया था। उनको एक अच्छा वेतन मिलना शुरू हो गया था। इसके बाद यह मामला जब कोर्ट में गया तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने उचित पैरवी नहीं की थी। इसलिए वे फिर से शिक्षामित्र बना दिए गए। शिक्षा मित्रों को महज 10 हजार रुपये मानदेय मिल रहा है। इतने कम रुपये में उनका जीवन ठीक से नहीं चल पा रहा है।

इसके जवाब में बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार शिक्षा मित्रों की स्थिति को लेकर काम कर रही है। हमारी सरकार उनके साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार जब आई थी, तब शिक्षामित्र का मानदेय मात्र साढ़े तीन हजार रुपये था। उसे बढ़ाकर 10000 रुपये प्रति माह किया है। अब हमारी सरकार शिक्षामित्र को उनकी पसंद का तबादला भी देगी। ताकि उनको भाग दौड़ न करनी पड़े। उनका मानदेय बढ़ाने का अभी कोई योजना नहीं है।

समाजवादी पार्टी के विधायक राकेश वर्मा ने अपना सवाल पूछते हुए कहा कि जितना शिक्षामित्र का मानदेय है, उससे कहीं ज्यादा वेतन तो उसे मिलता होगा जो मंत्री जी के घर में कुत्ता टहलाता है। विपक्ष के सदस्य की इस बात को लेकर भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने उनसे माफी मांगने को कहा। बीच में उठकर गन्ना मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण ने कहा कि शिक्षा मित्र बहुत सम्मानित हैं। उनकी बराबरी इस तरह से कुत्ता टहलाने वाले कर्मचारियों से करना अपमानजनक है।

समाजवादी पार्टी के ही अन्य सदस्य समरपाल सिंह ने उत्तर प्रदेश के बेसिक स्कूलों पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा के स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। इसके जवाब में बेसिक शिक्षा ने कहा 2017 से पहले उत्तर प्रदेश के बेसिक स्कूल बहुत खराब हाल थी। अगर पहले की सरकार ने कुछ काम किया होता तो हमारी सरकार मिशन कायाकल्प नहीं चलाना पड़ता। हमने मिशन कायाकल्प चलाकर विद्यालयों को ठीक किया। 16 बिंदुओं पर स्कूलों को विकसित किया गया। उत्तर प्रदेश के सभी बेसिक स्कूलों में अब आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं। अंग्रेजी मीडियम के सवाल पर उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में लगभग 13,000 स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम में शिक्षा दी जा रही है। नई शिक्षा नीति के तहत अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई नहीं होगी। अंग्रेजी को केवल एक विषय के तौर पर पढ़ाया जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार / दिलीप शुक्ला