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चिन्मया विद्यालय का 30वां स्थापना दिवस समारोह धूमधाम से मनाया

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चिन्मया विद्यालय का 30वां स्थापना दिवस समारोह धूमधाम से मनाया


रायबरेली, 30 नवम्बर(हि. स.)। चिन्मया विद्यालय एनटीपीसी ऊंचाहार का 30वां स्थापना दिवस भव्यता और सांस्कृतिक गरिमा के साथ मनाया गया। इस विशेष अवसर का समापन दिन आध्यात्मिक और शैक्षणिक गतिविधियों से परिपूर्ण रहा। विभीषण गीता ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन सायंकालीन कथा में स्वामी स्वरूपानंद ने अपने प्रेरणादायक विचार प्रस्तुत किए। जिनमें धर्म, जीवन, और आत्मिक विकास के महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर किया गया।

उन्हाेंने अपने प्रवचन में कहा कि धर्म के मार्ग पर चलने के लिए ईश्वर का भजन सबसे श्रेष्ठ सारथी है। उन्होंने जीवन के युद्ध में मनुष्य के सबसे बड़े शत्रुओं की पहचान कराई, जो हमारे भीतर ही छिपे होते हैं। उन्हाेंने कहा कि किसी वस्तु या व्यक्ति के प्रति अत्यधिक लगाव हमारी आत्मा के लिए शत्रु के समान है। उन्होंने बताया कि श्रीराम वैराग्य की ढाल का प्रयोग कर इस शत्रु से लड़ने की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने समझाया कि लोभ, स्वार्थ, और कृपणता नकारात्मकता को जन्म देते हैं। इसके विपरीत, उदारता और दान सकारात्मकता का संचार करते हैं।

स्वरूपानंद ने रामायण के उदाहरणों का उल्लेख करते हुए बताया कि आत्मज्ञान ही मनुष्य को उसकी शुद्धता और आनंद के शाश्वत स्वरूप का अनुभव कराता है। उनका प्रवचन सभी उपस्थित श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणास्रोत बना। समापन समारोह के प्रातःकालीन सत्र में स्वामी स्वरूपानंद ने टेक्नोफेस्ट का उद्घाटन किया। जिसमें विद्यार्थियों द्वारा तैयार किए गए विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और गणित के मॉडलों की प्रदर्शनी लगाई गई। छात्रों ने अपनी सृजनात्मकता और नवाचार से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस प्रदर्शनी में हेरीटेज क्लब के बच्चों ने विभिन्न राज्यों की पारम्परिक वेशभूषा में स्वामी का अभिनंदन कर भारतीय संस्कृति की झलक प्रस्तुत की।

विद्यालय के प्राचार्य मनीष कुमार ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए शैक्षणिक, सांस्कृतिक और खेलकूद के क्षेत्रों में विद्यालय की उपलब्धियों को रेखांकित किया। इसके पश्चात गीता पाठ प्रतियोगिता के रायबरेली जिले के विजेताओं को स्वामी द्वारा सम्मानित किया गया। समापन सांस्कृतिक कार्यक्रमों और धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

हिन्दुस्थान समाचार / रजनीश पांडे