फिर शुरू होगा 41 वर्ष पूर्व का ‘नशा नहीं रोजगार दो’ आंदोलन
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नैनीताल, 23 फ़रवरी (हि.स.)। 41 वर्ष पूर्व हुए ‘नशा नहीं रोजगार दो’ आंदोलन की एक बार फिर आवश्यकता महसूस की जा रही है। इस हेतु ‘नैनीताल समाचार’ के नैनीताल मुख्यालय में एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में आंदोलन के ऐतिहासिक संदर्भ और वर्तमान समय में इसकी प्रासंगिकता पर विस्तार से चर्चा हुई। बैठक की अध्यक्षता करते हुए राजीव लोचन साह ने कहा कि वर्तमान में रोजगार के अभाव में युवा अवसाद का शिकार हो रहे हैं, और नशे की गिरफ्त में केमिकल नशा, इंजेक्शन, स्मैक आदि की गिरफ्त में आ रहे हैं, जो कि 41 वर्ष पूर्व इस आंदोलन के मुख्य कारण शराब की तुलना में अधिक घातक साबित हो रहा है।
खासतौर पर विद्यार्थी इस प्रवृत्ति से सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं, जिससे उनके जीवन और भविष्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। वक्ताओं ने सुझाव दिया कि समाज को इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभानी होगी। इसके तहत नशे के अड्डों को चिह्नित कर वहां नशे की बिक्री और सेवन पर रोक लगाने के लिए सामाजिक दबाव बनाया जाए। साथ ही, नशे की चपेट में आ चुके युवाओं के अभिभावकों से संवाद कर उन्हें जागरूक किया जाए ताकि वे अपने बच्चों को सही मार्गदर्शन दे सकें। बैठक अजय, जय जोशी, पंकज भट्ट, मनमोहन चिलवाल, ज्योति दुर्गापाल, हरीश पाठक, घना पांडे, राधा देवी, विमला पांडे, मंजू पांडे, माया चिलवाल, चंपा उपाध्याय, कविता उपाध्याय, कंचन जोशी, दिनेश उपाध्याय सहित कई अन्य लोग उपस्थित रहे।
विद्यालयों में जागरूकता अभियान चलाने का प्रस्ताव
बैठक में यह भी चर्चा हुई कि विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थी सबसे अधिक नशे के शिकार हो रहे हैं। इसलिए, विद्यालयों में जाकर नुक्कड़ नाटक, गोष्ठी और अन्य माध्यमों से छात्रों को नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक किया जाए। इसके साथ ही, युवाओं को नशे से दूर रखने और रोजगार के अवसर प्रदान करने हेतु सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर व्यापक कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया। बैठक में पीसी तिवारी ने अल्मोड़ा और हल्द्वानी में हुई बैठकों की जानकारी देते हुए बताया कि नशे और रोजगार के सवाल पर व्यापक कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह केवल नशे के खिलाफ लड़ाई नहीं है, बल्कि युवाओं को रोजगार दिलाने और उन्हें सही दिशा में प्रेरित करने का प्रयास भी है।
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी