अनुसंधान एवं नवाचार से चिकित्सा जगत में क्रांतिकारी परिवर्तन संभव : प्रो. रावत
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नैनीताल, 23 फ़रवरी (हि.स.)। कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिवान सिंह रावत ने भीमताल स्थित जेसी बोस परिसर में फार्मेसी के विद्यार्थियों के साथ संवाद करते हुए ‘ड्रग डिस्कवरी’ विषय पर चर्चा की और उन्हें अनुसंधान एवं नवाचार के प्रति जागरूक किया।
उन्होंने बताया कि औषधीय अनुसंधान के क्षेत्र में औषधियों की खोज अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिससे नई औषधियों का विकास किया जाता है। उल्लेखनीय है कि कुलपति प्रो. रावत स्वयं भी पार्किंसन की दवाई की खोज कर चुके हैं। इस अवसर पर कुलपति प्रो. रावत ने कहा कि औषधीय अनुसंधान एवं नवाचार से चिकित्सा जगत में क्रांतिकारी परिवर्तन संभव हो सकते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को नवीन औषधीय यौगिकों के विकास पर ध्यान केंद्रित करने तथा अनुसंधान परियोजनाओं में भाग लेने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण, आधुनिक तकनीकें और नवीन विधियाँ औषधियों की खोज में अत्यंत आवश्यक हैं।
इस अवसर पर विद्यार्थियों ने कुलपति से अपने शोध कार्यों एवं करियर से संबंधित प्रश्न भी पूछे। कुलपति ने उन्हें अनुसंधान के क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों की जानकारी दी और विश्वविद्यालय द्वारा नवाचार को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अनुसंधान को बढ़ावा देने हेतु प्रयोगशालाओं को आधुनिक उपकरणों से युक्त कर रहा है, जिससे विद्यार्थियों को अनुसंधान के लिए सर्वोत्तम सुविधाएँ मिल सकें।
भारतीय औषधि अनुसंधान की संभावनाएं
उन्होंने बताया कि विश्वभर में हो रहे औषधीय अनुसंधानों में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। भारतीय वैज्ञानिक एवं शोधकर्ता औषधि निर्माण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं, जिससे चिकित्सा जगत को नई दिशा मिल रही है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे अनुसंधान के प्रति रुचि लें और औषधीय अनुसंधान को प्रोत्साहित करें।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी