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विजया एकादशी व्रत 24 फरवरी सोमवार को मनाया जायेगा

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विजया एकादशी व्रत 24 फरवरी सोमवार को मनाया जायेगा


विजया एकादशी व्रत 24 फरवरी सोमवार को मनाया जायेगाजम्मू, 22 फ़रवरी (हि.स.)। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी का व्रत रखा जाता है। श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष, महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) ने बताया कि एक वर्ष में कुल 24 एकादशी होती हैं, लेकिन प्रत्येक तीन वर्ष में एक बार अधिकमास (मलमास) आने पर इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। इस वर्ष विजया एकादशी तिथि का प्रारंभ 23 फरवरी 2025 को दोपहर 1 बजकर 56 मिनट पर होगा, और समापन 24 फरवरी 2025 को दोपहर 1 बजकर 45 मिनट पर होगा। फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की सूर्योदय व्यापिनी एकादशी तिथि 24 फरवरी, सोमवार को पड़ने के कारण इस वर्ष विजया एकादशी व्रत 24 फरवरी, सोमवार को रखा जाएगा।

फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की इस एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार, विजया एकादशी व्रत के पुण्य से भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी। तभी से इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया। यदि आप अपने कार्य में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको विजया एकादशी का व्रत, पूजन एवं कथा अवश्य करनी चाहिए।

इस व्रत को करने से अश्वमेध यज्ञ, जप, तप, तीर्थ स्नान और दान से भी अधिक पुण्य प्राप्त होता है। व्रती को अपने चित्त, इंद्रियों और व्यवहार पर संयम रखना आवश्यक होता है। यह व्रत जीवन में संतुलन बनाए रखने की शिक्षा देता है। व्रती अपने जीवन में अर्थ और काम से ऊपर उठकर धर्म के मार्ग पर चलते हुए मोक्ष को प्राप्त करता है। यह व्रत पुरुष और महिलाओं, दोनों के लिए लाभकारी है। इस दिन दान का विशेष महत्व है। जो व्यक्ति इस दिन स्वर्ण, भूमि, फल, वस्त्र, मिष्ठान, अन्न, विद्या, दक्षिणा और गौदान करता है, वह अपने समस्त पापों से मुक्त होकर परमपद को प्राप्त करता है।

इस दिन भगवान श्रीगणेश, श्रीलक्ष्मीनारायण, श्रीराम, श्रीकृष्ण एवं देवों के देव महादेव की पूजा की जाती है। श्रीलक्ष्मीनारायण जी की कथा एवं आरती अवश्य करें अथवा कथा श्रवण करें। एकादशी व्रत का केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान विष्णु की आराधना को समर्पित होता है, जो मन को संयमित करता है और शरीर को नई ऊर्जा प्रदान करता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, एकादशी के पावन दिन चावल एवं तामसिक वस्तुओं का सेवन वर्जित है। इस दिन शराब एवं अन्य नशीले पदार्थों से दूर रहना चाहिए, क्योंकि इनका नकारात्मक प्रभाव आपके शरीर और भविष्य पर पड़ सकता है। इस दिन केवल सात्त्विक आहार ग्रहण करना चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा