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अभिषेक बनर्जी ने की कठोर कानून की वकालत, बोले- दुष्कर्मियों को तीन वक्त का भोजन क्यों कराएं, हो फांसी की सज़ा

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अभिषेक बनर्जी ने की कठोर कानून की वकालत, बोले- दुष्कर्मियों को तीन वक्त का भोजन क्यों कराएं, हो फांसी की सज़ा


कोलकाता, 30 नवंबर (हि. स.)। तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी ने दुष्कर्म के दोषियों को फांसी देने के लिए कड़े कानून की वकालत की है। उन्होंने कहा कि दुष्कर्म जैसी घटनाओं को रोकने के लिए देशभर में सख्त कानून लागू होना चाहिए। अभिषेक ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाने की इच्छुक नहीं है।

शनिवार को आमतला में आयोजित डॉक्टरों के सम्मेलन में अभिषेक ने कहा कि जो लोग इस तरह के जघन्य अपराध करते हैं, उन्हें समाज में जीने का कोई अधिकार नहीं है। केवल सख्त कानून ही इस समस्या का समाधान है। मैं बार-बार कहता हूं कि दुष्कर्म जैसे सामाजिक अपराध को रोकने के लिए कठोर कानून लाना जरूरी है।

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'अपराजिता बिल' को राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार

अभिषेक ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने विधानसभा में 'अपराजिता बिल' पारित किया है, लेकिन यह अभी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास लंबित है। उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्रपति से मंजूरी नहीं मिलती, तो मैं लोकसभा में प्राइवेट मेंबर बिल पेश करूंगा। चाहे कोई मेरा साथ दे या न दे।

अभिषेक ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर केंद्र चाहे, तो एक दिन में ऑर्डिनेंस ला सकता है। जी-20 सम्मेलन के दौरान दिल्ली सरकार की शक्तियां छीनने के लिए ऑर्डिनेंस लाया गया। ईडी निदेशक के कार्यकाल को तीन बार बढ़ाने के लिए भी सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की गई। लेकिन दुष्कर्म विरोधी कानून के लिए कोई पहल नहीं हो रही।

गुजरात में बिलकिस बानो मामले का जिक्र करते हुए अभिषेक ने कहा कि गुजरात में दुष्कर्म के दोषियों को रिहा कर दिया गया। मेरा सवाल है कि जब एक व्यक्ति पर अपराध साबित हो चुका है, तो उसे जेल में रखकर तीन वक्त का खाना क्यों दिया जाए ? पांच साल तक जेल में रखकर उसके भोजन पर लाखों रुपए खर्च करने की बजाय उस पैसे से गरीबों की मदद हो सकती है। ऐसे अपराधियों को जीने का कोई अधिकार नहीं है। उन्हें फांसी की सज़ा दी जानी चाहिए।

अभिषेक ने डॉक्टरों से सहयोग मांगते हुए कहा कि दुष्कर्म मुक्त समाज बनाने के लिए व्यापक आंदोलन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कई बार परिवार के सम्मान और समाज में बदनामी के डर से दुष्कर्म के मामले दर्ज नहीं कराए जाते। वास्तविक आंकड़े इससे कहीं ज्यादा हो सकते हैं।

अभिषेक ने कहा कि यह मुद्दा किसी एक पार्टी का नहीं है। दोषी चाहे किसी भी दल से हो, उसे फांसी के फंदे तक ले जाना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि दुष्कर्म जैसी घटनाओं को रोकने के लिए केंद्र सरकार को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर