उत्तरकाशी में बादल फटने से मची तबाही: जानें राहत कार्य और इतिहास

उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना
उत्तरकाशी में बादल फटने का मंजर: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में हाल ही में बादल फटने से भयंकर तबाही हुई है। इस प्राकृतिक आपदा में कम से कम 10 लोगों की जान चली गई है, और कई लोग अब भी लापता हैं। खीर गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में अचानक आई बाढ़ ने घरों, होटलों और होमस्टे को बहा दिया, जिससे पूरा गांव मलबे में तब्दील हो गया। घटनास्थल से प्राप्त वीडियो में पानी और मलबे का तेज बहाव घरों में घुसते हुए देखा जा सकता है, जिससे लोग ऊंचे स्थानों की ओर भागते नजर आ रहे हैं। इस घटना के बाद एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और भारतीय सेना की आईबेक्स ब्रिगेड राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई है। हेलीकॉप्टर और जमीनी दल लापता लोगों की खोज में लगे हुए हैं और घायलों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।
भारत में बादल फटने की घटनाएं
बादल फटने का इतिहास: भारत में बादल फटने से होने वाली आपदाएं कोई नई बात नहीं हैं। हर साल कई राज्यों में ऐसी घटनाएं होती हैं, जो विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्र के लिए खतरे की घंटी साबित होती हैं। कुछ प्रमुख घटनाएं इस प्रकार हैं:
काली घाटी, कुमाऊं (अगस्त 1998): 250 से अधिक लोगों की मौत हुई।
कुंथा, रुद्रप्रयाग (17 अगस्त, 1979): 39 लोगों की जान गई।
मुंबई (जुलाई 2005): 450 से अधिक जानें गईं।
लेह, लद्दाख (अगस्त 2010): अनुमानित 250-600 मौतें।
उत्तरकाशी (सितंबर 2012): लगभग 45 मौतें।
केदारनाथ (16-17 जून, 2013): 5,000 से अधिक मौतें, कई लोग लापता।
मंडी, हिमाचल प्रदेश (2025): कई बादल फटने से 15 लोगों की मौत और 27 लोग लापता हुए।
इन घटनाओं ने यह स्पष्ट किया है कि हिमालयी क्षेत्र में बादल फटने के कारण होने वाली आपदाओं में हर साल वृद्धि हो रही है।
धराली में राहत कार्य की स्थिति
धराली में राहत कार्य: धराली में बाढ़ के बाद राहत कार्य तेजी से चलाए जा रहे हैं। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और भारतीय सेना की टीमें घटनास्थल पर पहुंच चुकी हैं और मलबे में फंसे लोगों की तलाश कर रही हैं।
मेडिकल सहायता: आसपास के अस्पतालों में चिकित्सा टीमों को भेजा गया है, जो घायलों को प्राथमिक उपचार प्रदान कर रही हैं।
राहत सामग्री: प्रभावित गांवों में भोजन, पानी और अन्य आवश्यक राहत सामग्री भेजी जा रही है।
सड़क मार्ग खोलना: बचाव कार्यों में तेजी लाने के लिए गांव के मार्गों पर मलबा हटाने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है।
आपदा प्रबंधन की आवश्यकता
बुनियादी ढांचों पर सवाल: धराली में आई इस आपदा ने हिमालयी क्षेत्र में बेहतर आपदा प्रबंधन और पूर्व चेतावनी प्रणाली की आवश्यकता को एक बार फिर उजागर किया है। जिला अधिकारी और राज्य तथा केंद्रीय एजेंसियां राहत कार्यों में समन्वय स्थापित करके स्थिति की गंभीरता से निपटने का प्रयास कर रही हैं। इस त्रासदी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए स्थानीय बुनियादी ढांचे को और मजबूत करने की आवश्यकता है।