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ऑस्ट्रेलिया ने फ़िलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने का किया ऐलान

ऑस्ट्रेलिया ने सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र के दौरान फ़िलिस्तीनी राज्य को औपचारिक मान्यता देने की घोषणा की है। यह निर्णय मध्य पूर्व में शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने इसे 'दो-राज्य समाधान' को बढ़ावा देने का प्रयास बताया है। इस कदम के पीछे फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण से प्राप्त प्रतिबद्धताएँ हैं, जिसमें हमास की भूमिका का अभाव और गाजा का विसैन्यीकरण शामिल है। हालांकि, इजरायल ने इस निर्णय पर निराशा व्यक्त की है।
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ऑस्ट्रेलिया का ऐतिहासिक निर्णय

ऑस्ट्रेलिया ने अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए घोषणा की है कि वह सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र के दौरान फ़िलिस्तीनी राज्य को औपचारिक मान्यता प्रदान करेगा। यह निर्णय ऑस्ट्रेलिया को उन प्रमुख पश्चिमी देशों की श्रेणी में रखता है, जिन्होंने हाल ही में फ़िलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने की इच्छा व्यक्त की है, जैसे कि फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और कनाडा। प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने इसे मध्य पूर्व में "दो-राज्य समाधान" को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास बताया है, खासकर गाजा में चल रहे संघर्ष और बंधकों की रिहाई की चिंताओं के संदर्भ में।


प्रधानमंत्री अल्बनीज ने यह भी स्पष्ट किया कि ऑस्ट्रेलिया का यह कदम फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण से प्राप्त विशिष्ट प्रतिबद्धताओं पर आधारित होगा। इनमें हमास की भूमिका का अभाव, गाजा का विसैन्यीकरण, और स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना शामिल है। ऑस्ट्रेलिया का मानना है कि "दो-राज्य समाधान" ही मध्य पूर्व में लंबे समय से चले आ रहे हिंसा के चक्र को तोड़ने और स्थायी शांति व सुरक्षा स्थापित करने का सबसे प्रभावी तरीका है।


ऑस्ट्रेलिया का यह निर्णय उन 140 से अधिक देशों के साथ खड़ा होने का प्रतीक है, जिन्होंने पहले ही फ़िलिस्तीन को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता दी है। यह कदम अमेरिका जैसे कुछ देशों के दृष्टिकोण के विपरीत है, जो आमतौर पर फ़िलिस्तीनी राज्य की मान्यता को इजरायल के साथ अंतिम शांति समझौते के हिस्से के रूप में देखते हैं। ऑस्ट्रेलियाई सरकार का मानना है कि मौजूदा मानवीय संकट और इजरायल द्वारा अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अपील की अनदेखी को देखते हुए, यह एक आवश्यक कदम है।


इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ऑस्ट्रेलिया के इस निर्णय पर निराशा व्यक्त की है, यह कहते हुए कि ऐसे कदम हमास को प्रोत्साहित कर सकते हैं और संघर्ष विराम की कोशिशों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऑस्ट्रेलिया के भीतर भी, कुछ विपक्षी दलों ने इस निर्णय पर चिंता जताई है, खासकर इस बात को लेकर कि हमास अभी भी गाजा पर नियंत्रण रखता है। हालांकि, ऑस्ट्रेलियाई सरकार अपने रुख पर कायम है, यह मानते हुए कि यह निर्णय क्षेत्र में शांति और न्याय की दिशा में एक आवश्यक कूटनीतिक कदम है।