कानपुर में रेड फोर्ट ब्लास्ट मामले में नया मोड़: मेडिकल छात्र की गिरफ्तारी
कानपुर में एटीएस की कार्रवाई
कानपुर: दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार विस्फोट की जांच में एक महत्वपूर्ण विकास हुआ है। उत्तर प्रदेश एंटी-टेररिस्ट स्क्वाड (ATS) ने बुधवार रात कानपुर से जम्मू-कश्मीर के एक मेडिकल छात्र, डॉ. मोहम्मद आरिफ को हिरासत में लिया। आरिफ का नाम पहले से गिरफ्तार महिला डॉक्टर, डॉ. शाहीन सईद के फोन रिकॉर्ड्स में पाया गया था, जिससे यह संकेत मिलता है कि दोनों के बीच लंबे समय से संपर्क हो सकता है।
डॉ. आरिफ का बैकग्राउंड
डॉ. आरिफ कानपुर के अशोक नगर क्षेत्र में एक किराए के मकान में रह रहा था और गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज (GSVM) के कार्डियोलॉजी विभाग में अध्ययन कर रहा था। वह NEET-SS 2024 बैच का छात्र है। एटीएस ने उसके फ्लैट की तलाशी ली और डिजिटल उपकरणों को अपने कब्जे में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।
डॉ. शाहीन सईद का संदिग्ध अतीत
डॉ. शाहीन सईद की कहानी बेहद चौंकाने वाली है। लखनऊ के कंधारी बाजार की निवासी, शाहीन ने सरकारी स्कूल से 10वीं और 12वीं कक्षाओं में टॉप किया। उसने प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और एमडी की डिग्री प्राप्त की। 2006 में, वह GSVM मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बनी, लेकिन 2013 के बाद उसका जीवन अचानक बदल गया। वह कॉलेज से गायब रहने लगी और अंततः 2021 में अनुशासनहीनता के कारण बर्खास्त कर दी गई।
कट्टरपंथ की ओर झुकाव
बर्खास्तगी के बाद, शाहीन ने फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में काम करना शुरू किया। वहां उसकी मुलाकात डॉ. मुजम्मिल गनई से हुई, जो बाद में रेड फोर्ट ब्लास्ट केस में मुख्य आरोपी बना। इस दौरान, शाहीन के विचारों में बदलाव आया और वह धार्मिक कट्टरपंथ की ओर झुकने लगी।
गिरफ्तारी के समय की स्थिति
डॉ. मुजम्मिल की निशानदेही पर शाहीन को गिरफ्तार किया गया था। उसकी कार से AK-47 राइफल, पिस्टल, जिंदा कारतूस और कई संदिग्ध इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बरामद हुए थे। जांच एजेंसियों का मानना है कि वह आतंकी संगठन जमात-उल-मोमिनात से जुड़ी हुई थी।
जांच में नई चुनौतियाँ
डॉ. मोहम्मद आरिफ की गिरफ्तारी ने जांच को और जटिल बना दिया है। सूत्रों के अनुसार, आरिफ और शाहीन के बीच कई संदिग्ध बातचीत और डिजिटल लेन-देन के सबूत मिले हैं। एटीएस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या आरिफ को आतंकी नेटवर्क में शामिल करने की कोशिश की जा रही थी या वह पहले से इसका हिस्सा था।
आगे की कार्रवाई
डॉ. आरिफ से पूछताछ जारी है, और एटीएस को उम्मीद है कि उससे फरीदाबाद मॉड्यूल और रेड फोर्ट ब्लास्ट केस के बड़े नेटवर्क की कड़ियां खुल सकती हैं। जांच एजेंसियां यह भी जानने की कोशिश कर रही हैं कि मेडिकल संस्थानों में इस नेटवर्क की घुसपैठ कितनी गहरी है।
