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किसानों का नागपुर-वर्धा हाईवे पर बड़ा आंदोलन: क्या मिलेगी कर्जमाफी की तारीख?

नागपुर-वर्धा हाईवे पर किसानों के आंदोलन ने 30 किलोमीटर लंबा जाम लगा दिया है। हजारों किसान ट्रैक्टरों के साथ सड़क पर डटे हुए हैं। आंदोलन का नेतृत्व बच्चू कड़ू कर रहे हैं, जिन्होंने सरकार पर पुराने वादे न निभाने का आरोप लगाया है। किसान नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर गुरुवार को होने वाली मीटिंग में कर्जमाफी की कोई ठोस तारीख नहीं बताई गई, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। अब सभी की नजरें मुंबई में होने वाली मीटिंग पर हैं, जहां आंदोलन का भविष्य तय होगा।
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किसानों का नागपुर-वर्धा हाईवे पर बड़ा आंदोलन: क्या मिलेगी कर्जमाफी की तारीख?

किसानों का आंदोलन और जाम


नई दिल्ली: नागपुर-वर्धा हाईवे पर किसानों के प्रदर्शन के कारण बुधवार को 30 किलोमीटर लंबा जाम लग गया। हजारों किसान ट्रैक्टरों के साथ सड़क पर डटे रहे, जिससे उत्तर से दक्षिण भारत को जोड़ने वाला मार्ग घंटों तक बंद रहा। हालांकि, मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ के हस्तक्षेप और सरकार की पहल के बाद किसानों ने आंदोलन स्थल बदलने पर सहमति जताई है। अब वे गुरुवार को मुंबई जाकर मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे।


आंदोलन का नेतृत्व

प्रहार जनशक्ति पार्टी के नेता बच्चू कड़ू के नेतृत्व में शुरू हुआ यह आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। किसान नेताओं ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि गुरुवार की बैठक में उन्हें कर्जमाफी की निश्चित तारीख नहीं बताई गई, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे और सड़क के साथ-साथ ट्रेनें भी रोक देंगे।


आंदोलन की शुरुआत

बच्चू कड़ू ने सरकार पर पुराने वादे पूरे न करने का आरोप लगाते हुए 'महा यलगार मार्च' की घोषणा की थी। कर्जमाफी और किसानों की खतौनी से कर्ज हटाने की मांग को लेकर मंगलवार को हजारों किसान 250 से 300 ट्रैक्टरों के साथ नागपुर-वर्धा हाईवे (NH-44) पर उतर आए। यह आंदोलन तेजी से फैल गया, जिसके कारण बुधवार तक हजारों वाहन फंस गए और हाईवे पर 30 किलोमीटर लंबा ट्रैफिक जाम लग गया।


समर्थन में आए किसान नेता

बच्चू कड़ू के समर्थन में कई प्रमुख किसान नेता भी आंदोलन स्थल पर पहुंचे, जिनमें स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के नेता राजू शेट्टी, पृथक विदर्भ आंदोलन के नेता वामनराव चटप और धनगर समुदाय के नेता महादेव जानकर शामिल थे। इन नेताओं के आने से आंदोलन को और मजबूती मिली।


हाईकोर्ट का हस्तक्षेप

एनएच-44 पर लगे लंबे जाम को देखते हुए मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने खुद संज्ञान लिया। न्यायमूर्ति रजनीश व्यास की पीठ ने आदेश दिया कि आंदोलनकारियों को केवल 24 घंटे के लिए धरने की अनुमति दी गई थी, और इसे शाम छह बजे तक समाप्त किया जाना चाहिए।


सरकार की बातचीत

सरकार की ओर से दो मंत्री आशीष जायसवाल और पंकज भोयर किसानों से बातचीत के लिए धरना स्थल पर पहुंचे। दोनों मंत्रियों ने मौके से ही मुख्यमंत्री से बातचीत कर गुरुवार को किसान नेताओं की मीटिंग तय की।


किसानों का मैदान में आंदोलन

सरकारी आश्वासन के बाद किसान नेताओं ने फिलहाल हाईवे से धरना हटाकर पास के मैदान में आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर मुंबई में होने वाली मीटिंग में कर्जमाफी की कोई ठोस तारीख नहीं बताई गई, तो उनका आंदोलन और उग्र होगा। बच्चू कड़ू ने चेतावनी दी कि अगर गुरुवार की मीटिंग में उनकी मांगों पर ठोस निर्णय नहीं हुआ, तो वे सड़क के साथ-साथ ट्रेनें भी रोकना शुरू कर देंगे.


नागपुर में किसानों का यह आंदोलन अब महाराष्ट्र सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है। अदालत के हस्तक्षेप के बाद भले ही जाम खुल गया हो, लेकिन किसानों की चेतावनी से हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। अब सभी की निगाहें मुंबई में होने वाली मीटिंग पर टिकी हैं, जहां आंदोलन का आगे का रास्ता तय होगा।