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किसानों की खाद के लिए सहकारी केंद्रों पर भीड़, प्रशासन की मुश्किलें बढ़ीं

चर्की दादरी में सहकारी केंद्रों पर खाद की कमी के कारण किसानों की भीड़ उमड़ पड़ी है। सुबह से ही किसान खाद लेने के लिए लाइन में खड़े हैं, जिससे प्रशासन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। किसानों का आरोप है कि सरकार जानबूझकर खाद की आपूर्ति में देरी कर रही है। जानें इस स्थिति के पीछे की वजह और किसानों की चिंताएं।
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किसानों की खाद के लिए सहकारी केंद्रों पर भीड़, प्रशासन की मुश्किलें बढ़ीं

किसानों की खाद के लिए होड़


चर्की दादरी समाचार - उपमंडल के गांवों कादमा, धारणी, और धनासरी में सहकारी केंद्रों पर खाद की आपूर्ति होते ही किसानों में इसे पाने की होड़ मच गई। इस स्थिति ने प्रशासन और कृषि विभाग के अधिकारियों को हड़बड़ाहट में डाल दिया। कारी धारणी और कादमा के पैक्स केंद्रों पर एक घंटे की मेहनत के बाद किसानों को लाइन में लगाकर खाद का वितरण किया गया। किसानों ने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर खाद की आपूर्ति में देरी कर रही है।


सुबह से ही किसानों की भीड़

गांव कारी धारणी और कादमा में खाद की रात को पहुंचने की सूचना मिलते ही सुबह चार बजे से ही किसान केंद्र पर पहुंचने लगे। उपमंडल के चालीस गांवों के लिए केवल 2000 बैग खाद उपलब्ध होने से स्थिति बिगड़ गई। किसान एक-दूसरे से पहले आने की होड़ में थे और अधिकारियों से जल्दी खाद देने की मांग कर रहे थे। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया और सभी किसानों को लाइन में लगाकर खाद का वितरण किया।


किसानों की समस्याएं

खाद लेने आए किसानों ने बताया कि पिछले लंबे समय से सहकारी केंद्रों पर केवल नाममात्र की डीएपी खाद आ रही है, जिससे बुवाई और सिंचाई के समय खाद की उपलब्धता मुश्किल हो रही है। उन्हें दिन-रात लाइन में खड़ा होकर खाद लेना पड़ता है। निजी दुकानों से खाद खरीदने पर भी उन्हें अधिक कीमत चुकानी पड़ती है।


वर्तमान में सरसों की सिंचाई और बुवाई के लिए खाद की सख्त आवश्यकता है, लेकिन सहकारी केंद्रों और निजी दुकानों पर खाद की आपूर्ति कम होने के कारण किसानों को लाइन में लगकर खाद लेना मजबूरी बन गया है। सहकारी समिति के प्रबंधक ने बताया कि सप्ताह में तीसरी बार यूरिया और डीएपी की आपूर्ति की गई है।


किसानों की चिंताएं

खंड कृषि अधिकारी ने किसानों को समझाया कि डीएपी की खपत बढ़ने के कारण खाद की आपूर्ति में कमी आ रही है। किसानों ने कहा कि उन्हें अभी जो खाद मिल रही है, वह भविष्य में कम हो सकती है।