क्या नुसरत परवीन ने हिजाब विवाद के बाद सरकारी नौकरी से किया किनारा? झारखंड का प्रस्ताव भी आया सामने
नुसरत परवीन की ज्वाइनिंग में देरी
हिजाब विवाद के चलते चर्चा में आईं मुस्लिम डॉक्टर नुसरत परवीन ने निर्धारित समय सीमा के अंतिम दिन भी सरकारी नौकरी में शामिल नहीं हुईं। उन्हें शनिवार को पटना सदर के सबलपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में योगदान देना था, लेकिन वह वहां नहीं पहुंचीं। इस बीच, राज्य स्वास्थ्य समिति ने ज्वाइनिंग की समयसीमा को बढ़ाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।
नई अंतिम तिथि का ऐलान
अब नुसरत परवीन और अन्य चयनित डॉक्टरों के लिए अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है। पटना के सिविल सर्जन ने बताया कि अब तक 63 डॉक्टर अपनी-अपनी पोस्टिंग पर योगदान दे चुके हैं, जबकि नुसरत परवीन ने अभी तक ज्वाइन नहीं किया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि स्वास्थ्य विभाग द्वारा ज्वाइनिंग की तारीख बढ़ाई गई है, तो जिला स्तर पर उसी निर्देश का पालन किया जाएगा।
सहपाठी का दावा
इससे पहले, राजकीय तिब्बी कॉलेज की प्राचार्य और नुसरत की सहपाठी बिलकिस ने कहा था कि नुसरत शनिवार को पटना सदर पीएचसी में ज्वाइन करेंगी। उन्होंने यह भी बताया कि नुसरत किसी से नाराज नहीं हैं और जल्द ही ड्यूटी संभालेंगी। हालांकि, अंतिम दिन भी उनके न पहुंचने से कई सवाल उठ रहे हैं।
झारखंड सरकार का प्रस्ताव
अब यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या नुसरत परवीन ने हिजाब विवाद के बाद बिहार की सरकारी नौकरी से दूरी बना ली है या फिर उनके ज्वाइन करने की संभावना अभी भी बनी हुई है। इसी बीच, झारखंड सरकार ने नुसरत परवीन को अपने राज्य में सरकारी सेवा में शामिल होने का खुला प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव में लगभग तीन लाख रुपये की सैलरी, मनपसंद पोस्टिंग और सरकारी आवास जैसी सुविधाएं शामिल हैं।
नीतीश कुमार का नियुक्ति पत्र वितरण
15 दिसंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 1283 नवनियुक्त आयुष चिकित्सकों को नियुक्ति पत्र वितरित किए थे। इनमें आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी पद्धति के डॉक्टर शामिल थे। इसी कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने प्रतीकात्मक रूप से 10 आयुष चिकित्सकों को नियुक्ति पत्र सौंपे थे। इस समारोह में डॉ. नुसरत परवीन का हिजाब से जुड़ा एक दृश्य कैमरे में कैद हुआ था, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ और विवाद का कारण बना।
भविष्य की संभावनाएं
हिजाब विवाद के बाद से नुसरत परवीन लगातार चर्चा में बनी हुई हैं। अब सभी की नजर इस बात पर है कि वे बिहार सरकार की नौकरी ज्वाइन करती हैं या किसी अन्य राज्य के प्रस्ताव को स्वीकार करती हैं। ज्वाइनिंग की तारीख बढ़ने से यह संकेत मिलता है कि उनके लिए दरवाजे अभी पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं।
