क्या न्यायपालिका की गरिमा पर सवाल उठा रहे हैं TMC सांसद कल्याण बनर्जी?
सुप्रीम कोर्ट में रोहिंग्या मामले पर विवादित टिप्पणी
नई दिल्ली : रोहिंग्या अवैध प्रवासी मामले की सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्य कांत की टिप्पणी पर तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद कल्याण बनर्जी की प्रतिक्रिया ने नया विवाद उत्पन्न कर दिया है। उन्होंने न्यायपालिका की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि पहले जज कम बोलते थे और केवल निर्णय देते थे, जबकि आजकल जज अनावश्यक टिप्पणियाँ कर रहे हैं, जिससे न्यायिक गरिमा प्रभावित हो रही है। उनकी इस टिप्पणी ने राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न की हैं।
जजों को कम बोलने की सलाह
“जज कम बोलें और फैसला अधिक दें”
कल्याण बनर्जी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वे मुख्य न्यायाधीश के बारे में सीधे टिप्पणी नहीं करना चाहते, लेकिन उनका मानना है कि अदालतों को टिप्पणियों के बजाय फैसलों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उनके अनुसार, “पहले न्यायपालिका में जज कम बात करते थे और अपना फैसला सुनाते थे। आजकल कई जज अधिक बोलते हैं, जैसे कि टीआरपी बढ़ाने की कोशिश कर रहे हों।” यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के उस बयान के संदर्भ में थी, जिसमें CJI ने कहा था कि अवैध रूप से घुसे लोगों के लिए “रेड कार्पेट” नहीं बिछाया जा सकता और देश के गरीब नागरिकों का हक पहले है।
भाजपा ने किया टीएमसी पर हमला
TMC ने किया न्यायपालिका का अपमान
भाजपा ने टीएमसी सांसद की टिप्पणी को न्यायपालिका का अपमान बताते हुए ममता बनर्जी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि टीएमसी हमेशा “वोट बैंक की राजनीति” में लिप्त रही है और अब सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों पर भी हमला कर रही है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि कल्याण बनर्जी पहले भी संवैधानिक पदों का मजाक उड़ा चुके हैं। भाजपा ने कहा कि यह मानसिकता लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति अपमानजनक है और जनता इसे देख रही है।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रोहिंग्या अवैध प्रवासियों से जुड़े एक हैबियस कॉर्पस मामले में सख्त टिप्पणी की। न्यायालय ने पूछा कि क्या भारत को अपने संसाधनों का बोझ ऐसे लोगों पर डाल देना चाहिए, जिन्होंने गैरकानूनी तरीके से सीमा पार की और अब भोजन, आश्रय और सुविधाओं का अधिकार मांग रहे हैं? CJI सूर्य कांत ने स्पष्ट किया कि भारत का कानून अपने नागरिकों की जरूरतों को प्राथमिकता देता है, और अवैध घुसपैठियों को अधिकार देने की अपेक्षा उचित नहीं है। अदालत ने मामले की सुनवाई 16 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
राजनीतिक बहस का नया दौर
राजनीतिक बहस का नया दौर
कल्याण बनर्जी की टिप्पणी ने न केवल न्यायपालिका की गरिमा पर चर्चा को जन्म दिया है, बल्कि रोहिंग्या मुद्दे पर पुराने राजनीतिक मतभेदों को भी उजागर किया है। भाजपा इसे TMC की “वोट बैंक राजनीति” से जोड़ रही है, जबकि टीएमसी का कहना है कि न्यायपालिका को संवेदनशील मामलों पर कम बयान देने चाहिए। यह विवाद आने वाले दिनों में और राजनीतिक गर्मी ला सकता है, क्योंकि मामला न्यायपालिका से लेकर संसद तक बहस का विषय बन गया है।
