क्या भारत में भी लागू होगा ऑस्ट्रेलिया जैसा सोशल मीडिया प्रतिबंध? मद्रास हाईकोर्ट की सलाह
सोशल मीडिया पर बढ़ती चिंता
नई दिल्ली: भारत में बच्चों और किशोरों के सोशल मीडिया उपयोग में वृद्धि को लेकर एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है। ऑस्ट्रेलिया द्वारा 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर कानूनी प्रतिबंध लगाने के बाद, भारत में भी ऐसे कानून की मांग उठने लगी है। मद्रास हाईकोर्ट की हालिया टिप्पणी ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित किया है।
कानून बनाने की सलाह
मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र को सुझाव दिया है कि वह ऑस्ट्रेलिया के समान कानून पर विचार करे, जिसमें 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग पर रोक लगाई गई है। कोर्ट का मानना है कि इंटरनेट और सोशल मीडिया बच्चों के लिए गंभीर खतरे उत्पन्न कर रहे हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
पीआईएल पर महत्वपूर्ण टिप्पणी
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मद्रास हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार को ऑस्ट्रेलिया के कानून के अनुरूप कानून बनाने की संभावनाओं पर विचार करना चाहिए। कोर्ट ने कहा, 'जब तक ऐसा कानून लागू नहीं होता, संबंधित अधिकारी अपने जागरूकता अभियानों को और प्रभावी तरीके से तेज करें।'
बच्चों के लिए खतरे की पहचान
कोर्ट ने यह भी माना कि इंटरनेट का अनियंत्रित उपयोग बच्चों के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। जजों ने कहा कि इस मामले में माता-पिता की जिम्मेदारी बढ़ जाती है, लेकिन केवल जागरूकता ही पर्याप्त नहीं है। सरकार और संबंधित संस्थानों को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
याचिकाकर्ता की दलील
मदुरै जिले के एस. विजयकुमार ने 2018 में यह याचिका दायर की थी। उन्होंने तर्क दिया कि छोटे बच्चों के लिए पोर्नोग्राफिक सामग्री आसानी से उपलब्ध है। याचिकाकर्ता के वकील ने ऑस्ट्रेलिया के नए कानून का हवाला देते हुए कहा कि भारत में भी ऐसा कानून बनाया जा सकता है।
कोर्ट ने संबंधित आयोगों द्वारा प्रस्तुत जवाबों पर असंतोष व्यक्त किया। जजों ने कहा, 'यह कमीशन की कानूनी जिम्मेदारी है कि वह समाज के विभिन्न वर्गों में बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाए।'
ऑस्ट्रेलिया का सोशल मीडिया कानून
ऑस्ट्रेलिया ने 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर कानूनी प्रतिबंध लागू किया है। इस कानून के तहत फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिकटॉक और यूट्यूब जैसे प्लेटफार्मों को नाबालिगों के अकाउंट हटाने होंगे। नियमों का पालन न करने पर कंपनियों पर भारी जुर्माने का प्रावधान है। हालांकि, इस कानून के प्रभाव पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर बहस जारी है।
