गुना में युवक की हिरासत में मौत पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
MP News: मध्य प्रदेश के गुना में हिरासत में एक युवक की मौत ने सुप्रीम कोर्ट को कड़ा रुख अपनाने के लिए मजबूर कर दिया है। देवा पारधी की हिरासत में हुई मौत के मामले में दो पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी में देरी ने न केवल जांच की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए, बल्कि राज्य सरकार की जिम्मेदारी को भी संदेह में डाल दिया। कोर्ट ने इसे अपने आदेश का उल्लंघन मानते हुए राज्य पर आरोपियों को संरक्षण देने का संदेह जताया। सीबीआई ने दोनों फरार अधिकारियों पर 2 लाख रुपये का इनाम घोषित किया है। मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी.
अधिकारियों के निलंबन पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश सरकार और सीबीआई पर तीखा हमला किया। कोर्ट ने पूछा, “अप्रैल से फरार अधिकारियों को कल ही क्यों निलंबित किया गया? क्या आप उन्हें बचा रहे हैं?” कोर्ट ने इसे अपने आदेशों की अवहेलना करार दिया। बेंच ने कहा, “महीनों से अधिकारी ड्यूटी पर नहीं हैं, और आप चुप हैं? यह क्या माजरा है?”
सीबीआई की जांच पर सवाल
सीबीआई की नाकामी
सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि उसने आरोपियों के वित्तीय लेनदेन, वाहनों और सोशल मीडिया खातों की जांच की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जांच एजेंसी की नाकामी से अवमानना का मामला बनता है। सीबीआई ने सुनवाई के कुछ घंटों बाद फरार अधिकारियों की जानकारी देने के लिए 2 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की।
राज्य की जिम्मेदारी
राज्य की जिम्मेदारी
कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार के वकील की समय मांगने की गुहार को ठुकराते हुए कहा, “यह सिर्फ सीबीआई का काम नहीं। अगर राज्य के अधिकारी शामिल हैं, तो आप जिम्मेदारी से नहीं बच सकते।” कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकार की जवाबदेही तय होनी चाहिए। सुनवाई में मौजूद दो अन्य अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठे, जिसका जवाब वकील संतोषजनक नहीं दे सके.
अगली सुनवाई का इंतजार
अगली सुनवाई का इंतजार
कोर्ट ने मामले को शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध किया और चेतावनी दी, “सबसे अच्छा होगा कि आप दोनों को गिरफ्तार करके आएं।” यह मामला न केवल पुलिस हिरासत में होने वाली मौतों पर सवाल उठाता है, बल्कि जांच में देरी और संरक्षण के आरोपों को भी उजागर करता है.