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चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड नीति 2023: विवाद और निवासियों की चिंताएं

चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड नीति 2023 ने निवासियों में भारी नाराजगी पैदा की है। नई नीति ने हजारों आवासीय इकाइयों को 'उल्लंघन' की श्रेणी में डाल दिया है। निवासियों का आरोप है कि यह नीति उनकी आवश्यकताओं को नजरअंदाज करती है। वे पुरानी छूटों को बहाल करने की मांग कर रहे हैं। जानें इस विवादित नीति के पीछे की कहानी और बोर्ड के अगले कदम क्या होंगे।
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चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड नीति 2023: विवाद और निवासियों की चिंताएं

चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड नीति 2023 पर उठे सवाल

चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड की नई नीति 2023: चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड की यह नीति एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है। पिछले ढाई वर्षों से लटकी इस नीति पर अब बोर्ड के निर्देशकों द्वारा निर्णय लिया जाने वाला है।


इस नई नीति के कारण न केवल निवासियों में असंतोष है, बल्कि यह लगभग 55,000 आवासीय इकाइयों के निर्माण को 'उल्लंघन' की श्रेणी में डाल चुकी है। यह सवाल उठता है कि क्या यह नीति वास्तव में मकान मालिकों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है या केवल नियमों का बोझ बढ़ाने के लिए?


नीति पर उठे सवाल और कानूनी मुद्दे

चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड: 2023 की नीति पर विवाद


3 जनवरी 2023 को जारी की गई नीड-बेस्ड नीति को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण 10 जनवरी 2023 से रोक दिया गया था। कोर्ट ने फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) में वृद्धि पर रोक लगाई थी, जिससे यह नीति पूर्व की तारीख से लागू नहीं हो सकी।


इस नीति पर सबसे बड़ा आरोप यह है कि इसमें पूर्व की नीतियों में दी गई छूटों को समाप्त कर दिया गया और उन्हें 'अवैध निर्माण' घोषित कर दिया गया। इस बदलाव ने हजारों आवंटियों को नुकसान पहुंचाया है।


निर्माण गतिविधियों का उल्लंघन

किस प्रकार के निर्माण को 'उल्लंघन' माना गया?


इस नीति के अंतर्गत, MIG डुप्लेक्स फ्लैट्स के सामने निर्माण, पहली मंजिल पर अतिरिक्त कमरे का निर्माण, बालकनी को कवर करना, और आंगन को बंद करना अब 'उल्लंघन' माने जाएंगे।


यह जानकर हैरानी होती है कि 62,000 हाउसिंग यूनिट्स में से लगभग 55,000 में ऐसे निर्माण पहले से हो चुके हैं।


जो कार्य पहले की नीतियों में स्वीकृत थे, उन्हें अब गलत ठहराया गया है। यह न केवल मकान मालिकों के हितों के खिलाफ है, बल्कि दशकों से बसे लोगों को कानूनी समस्याओं में भी डाल सकता है।


पुरानी और नई नीतियों में अंतर

पुरानी नीतियों की तुलना में नई नीति


2010, 2015 और 2016 की नीतियों में, MIG डुप्लेक्स फ्लैट्स के सामने पिलर पर बालकनी का निर्माण अनुमति था।


पहली मंजिल पर ग्राउंड फ्लोर के कमरे के ऊपर एक अतिरिक्त कमरा भी बनाया जा सकता था। लेकिन 2019 और 2023 की नीतियों में इन सभी प्रावधानों को समाप्त कर दिया गया है। विशेष रूप से सेक्टर 41-A के निवासियों को पहली मंजिल पर निर्माण की अनुमति नहीं दी गई, जिससे असमानता का आरोप लगा है।


निवासियों की मांग

निवासियों की मांग: पुरानी छूटें बहाल करें!


CHB आवंटियों ने मांग की है कि 3 जनवरी 2023 को जारी नीति को रद्द किया जाए और एक नई समावेशी नीति बनाई जाए, जो वास्तविकता को स्वीकार करे।


लोगों का कहना है कि वे आवश्यकताओं के अनुसार बदलाव करते हैं, न कि मनमानी से। बोर्ड को चाहिए कि वह सख्ती के बजाय समाधान पर ध्यान केंद्रित करे।


अब देखना होगा कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की अगली बैठक में इस पर क्या निर्णय लिया जाता है।


निवासियों की नाराजगी

चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड नीति 2023 को लेकर लोगों में भारी नाराजगी है। इस नीति ने पूर्व की छूटों को समाप्त कर हजारों मकानों को 'उल्लंघन' की श्रेणी में डाल दिया है।


अब बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक में इस विवादित नीति पर निर्णय लिया जाना है। लोग चाहते हैं कि चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड नीति 2023 को रद्द कर व्यावहारिक और जरूरत-आधारित नीति लागू की जाए।