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छत्तीसगढ़ में 16 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण, केरलपेंडा गांव अब नक्सल-मुक्त

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में 16 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जिनमें से 9 नक्सली केरलपेंडा गांव पंचायत से हैं। यह आत्मसमर्पण छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल सरेंडर और पुनर्वास योजना के तहत हुआ है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने माओवादी विचारधारा से निराश होकर यह कदम उठाया। अब केरलपेंडा गांव नक्सल-मुक्त हो गया है और राज्य सरकार द्वारा इसे एक करोड़ रुपये का विकास पैकेज मिलेगा। जानें इस आत्मसमर्पण के पीछे के कारण और राज्य सरकार की योजनाएं।
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छत्तीसगढ़ में 16 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण, केरलपेंडा गांव अब नक्सल-मुक्त

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का आत्मसमर्पण

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में हाल ही में 16 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जिनमें से 6 नक्सलियों पर कुल 25 लाख रुपये का इनाम था। यह आत्मसमर्पण छत्तीसगढ़ सरकार की 'नक्सल सरेंडर' और पुनर्वास योजना के अंतर्गत हुआ। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इनमें से 9 नक्सली केरलपेंडा गांव पंचायत से हैं, जिसके परिणामस्वरूप यह गांव अब नक्सल-मुक्त हो गया है। इसके साथ ही, राज्य सरकार द्वारा इस गांव को एक करोड़ रुपये का विकास पैकेज भी मिलेगा।


आत्मसमर्पण का कारण

नक्सलियों के आत्मसमर्पण का कारण

सुकमा के पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने बताया कि ये नक्सली अपनी माओवादी विचारधारा से निराश होकर आत्मसमर्पण करने आए थे। उन्होंने कहा कि इनका मानना है कि माओवादी विचारधारा खोखली और निर्दयी है, और उन्होंने स्थानीय आदिवासियों पर किए गए अत्याचारों के खिलाफ गहरी असहमति जताई। इन नक्सलियों ने राज्य सरकार की 'नियाद नेलानर' योजना और नए आत्मसमर्पण तथा पुनर्वास नीति को सकारात्मक रूप से देखा, जिसके चलते उन्होंने आत्मसमर्पण करने का निर्णय लिया।


आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की पहचान

आत्मसमर्पण करने वालों में कौन थे?

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में रिता उर्फ डोडी सक्की (36) और राहुल पुनेम (18) शामिल हैं, जिन पर क्रमशः 8 लाख रुपये का इनाम रखा गया था। रिता माओवादियों की केंद्रीय क्षेत्रीय समिति (CRC) कंपनी नंबर 2 की सदस्य थी, जबकि राहुल पुनेम PLGA बटालियन नंबर 1 का सदस्य था। इसके अलावा, लेकम लाखमा (28) पर 3 लाख रुपये का इनाम था और तीन अन्य नक्सलियों पर 2 लाख रुपये का इनाम था।


केरलपेंडा पंचायत का नक्सल-मुक्त होना

केरलपेंडा पंचायत का नक्सल-मुक्त होना

इन सभी नक्सलियों में से 9 नक्सली केरलपेंडा गांव पंचायत से थे। इन नक्सलियों के आत्मसमर्पण के साथ यह गांव अब नक्सल-मुक्त हो गया है। पुलिस ने बताया कि अब इस गांव को राज्य सरकार की नई योजना के तहत एक करोड़ रुपये का विकास पैकेज मिलेगा। इस पैकेज के तहत गांव में विभिन्न विकास कार्य किए जाएंगे, जो राज्य सरकार की नई नीति के अनुरूप हैं।


राज्य सरकार की नक्सल सरेंडर योजना

राज्य सरकार की नक्सल सरेंडर योजना

छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी नक्सल सरेंडर और पुनर्वास नीति-2025 के तहत यह योजना लागू की है, जिसमें नक्सलियों के आत्मसमर्पण के बाद विकास कार्यों के लिए एक करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है। यह योजना उन गांव पंचायतों के लिए है जो अपने इलाके के नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं और नक्सल-मुक्त घोषित करती हैं। अब तक जिले में इस योजना का दूसरा सफलता प्राप्त हुआ है, जब केरलपेंडा के बाद अप्रैल में बड़ेसत्ती गांव भी नक्सल-मुक्त घोषित किया गया था.


आत्मसमर्पण करने वालों को सहायता

आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को छत्तीसगढ़ सरकार की नीति के तहत 50,000 रुपये की मदद दी गई है। इसके अलावा, उन्हें पुनर्वास प्रक्रिया के तहत सुरक्षा और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ भी दिया जाएगा। सुकमा जिले के पुलिस अधीक्षक ने यह भी बताया कि पिछले साल बस्तर क्षेत्र में 792 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था, जो इस अभियान की सफलता को दर्शाता है।