छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पर बड़ी जीत: रामधर मज्जी ने किया आत्मसमर्पण
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ महत्वपूर्ण कदम
छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल हुई है। सोमवार को, कुख्यात माओवादी कमांडर रामधर मज्जी ने अपने पूरे समूह के साथ पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। रामधर पर एक करोड़ रुपये का इनाम था और उसे हिडमा के बाद सबसे खतरनाक नक्सली माना जाता था। इस आत्मसमर्पण के साथ, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बड़े हिस्से को नक्सल-मुक्त घोषित किया गया है।
किसने किया आत्मसमर्पण?
रामधर मज्जी ने बस्तर के बकर कट्टा थाने में आत्मसमर्पण किया। उनके साथ 11 अन्य माओवादी भी शामिल हुए, जिनमें चंदू उसेंडी, ललिता, जानकी, प्रेम, रामसिंह दादा, सुकेश पोट्टम, लक्ष्मी, शीला, सागर, कविता और योगिता जैसे नाम शामिल हैं। उनके पास से हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किया गया।
तीन राज्यों का क्षेत्र अब सुरक्षित
इस आत्मसमर्पण के बाद, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्रों को नक्सल-मुक्त घोषित किया गया है। अब केवल अबूझमाड़ के कुछ जंगली हिस्से और सुकमा-बीजापुर के दक्षिणी क्षेत्रों में थोड़ी बहुत खतरा बचा है।
उपमुख्यमंत्री का बयान
छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा, “राज्य में नक्सलवाद 80 प्रतिशत तक समाप्त हो चुका है। बस्तर के लोग अब बिना डर के जी रहे हैं। बस्तर ओलंपिक और पंडुम जैसे आयोजनों में युवाओं का जोश दिखाता है कि अब वे अपने इलाके का भविष्य संवारना चाहते हैं।” उन्होंने आश्वासन दिया कि मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ पूरी तरह नक्सल-मुक्त हो जाएगा।
केंद्रीय गृह मंत्री का बड़ा ऐलान
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “मोदी सरकार ने ठान लिया है कि 31 मार्च 2026 से पहले देश को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त कर देंगे। पहले यह समस्या 17 प्रतिशत भू-भाग और 12 करोड़ लोगों को प्रभावित करती थी। आज वह दिन दूर नहीं जब नक्सलवाद सिर्फ इतिहास के पन्नों में रह जाएगा।”
सरकार की सख्त नीति का असर
रामधर मज्जी का आत्मसमर्पण नक्सलियों के मनोबल पर एक बड़ा प्रहार है। सरकार की सख्त नीति और स्थानीय लोगों का समर्थन मिलने से बस्तर में शांति लौट रही है। अब उम्मीद है कि बचे हुए 20 प्रतिशत क्षेत्र भी जल्द ही आजादी की हवा में सांस लेंगे।
