जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल में छात्रा की आत्महत्या: सीबीएसई रिपोर्ट ने खोली कई परतें
जयपुर में दिल दहला देने वाली घटना
राजस्थान के जयपुर से एक बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां नीरजा मोदी स्कूल में चौथी कक्षा की एक छात्रा ने इमारत से कूदकर आत्महत्या कर ली। इस मामले में सीबीएसई द्वारा जारी की गई रिपोर्ट ने स्कूल प्रशासन और शिक्षकों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, आत्महत्या से पहले बच्ची ने अपनी क्लास टीचर से मदद मांगी थी। कक्षा में उसे गंदे शब्दों से परेशान किया गया था, और वह लगभग 45 मिनट तक टीचर से सहायता की गुहार लगाती रही, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
सीबीएसई की जांच में गंभीर आरोप
सीबीएसई की जांच रिपोर्ट में यह बताया गया है कि बच्ची को पिछले 18 महीनों से लगातार परेशान किया जा रहा था, जिससे वह अकेलापन महसूस करने लगी थी। बच्ची के परिवार ने भी गंभीर आरोप लगाए हैं कि उसे बार-बार गालियां दी जाती थीं और स्कूल प्रशासन ने उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया। रिपोर्ट में सबूतों के साथ छेड़छाड़ का भी उल्लेख किया गया है।
CCTV फुटेज से मिली जानकारी
बच्ची की आत्महत्या से पहले की स्थिति का भी जिक्र किया गया है। आत्महत्या के दिन सुबह 11 बजे तक बच्ची खुश नजर आ रही थी, लेकिन इसके बाद वह डिजिटल स्लेट पर कुछ देखकर परेशान हो गई। CCTV फुटेज में दिखाया गया है कि कुछ लड़कों ने डिजिटल स्लेट पर कुछ लिखा था, जिसके बारे में बच्ची ने साथी बच्चों से उसे मिटाने के लिए कहा।
क्लास टीचर की लापरवाही
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि क्लास टीचर को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए था। आत्महत्या से पहले बच्ची ने टीचर से मदद मांगी थी, लेकिन टीचर ने उसकी गुहार को नजरअंदाज कर दिया और उल्टा उस पर चिल्ला दिया। अब इस रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई का इंतजार है।
जयपुर में बढ़ा आक्रोश
इस घटना ने पूरे जयपुर में आक्रोश पैदा कर दिया है। यह घटना उस समय हुई है जब भारत में छात्रों की आत्महत्याओं की संख्या में चिंताजनक वृद्धि हो रही है, जिससे सहानुभूति, बदमाशी और मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा बढ़ रही है।
एनसीआरबी की रिपोर्ट से चिंताजनक आंकड़े
एनसीआरबी की हालिया रिपोर्ट 'Accidental Deaths and Suicides in India 2023' के अनुसार, पिछले वर्ष देश में 13,892 छात्रों ने आत्महत्या की, जो पिछले 10 वर्षों में सबसे अधिक है। आंकड़ों के अनुसार, 2023 में हुई कुल आत्महत्याओं का 8.1% हिस्सा छात्रों से संबंधित था। आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि इससे निपटने के लिए परिवार और दोस्तों से संपर्क करना चाहिए।
