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ठाणे चुनाव में महायुति के बीच बढ़ता तनाव: क्या है बीजेपी और शिवसेना की रणनीति?

ठाणे महानगरपालिका चुनाव से पहले बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। दोनों दलों ने अलग-अलग चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है, जिससे गठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठ रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सीट बंटवारे को लेकर सहमति न बन पाने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। बीजेपी ने स्वतंत्र रूप से प्रचार शुरू कर दिया है, जिससे राजनीतिक माहौल में गर्माहट आ गई है। जानें इस स्थिति का क्या असर होगा और आगे की राजनीति में क्या बदलाव आ सकते हैं।
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ठाणे चुनाव में महायुति के बीच बढ़ता तनाव: क्या है बीजेपी और शिवसेना की रणनीति?

ठाणे में सत्तारूढ़ महायुति में तनाव


ठाणे महानगरपालिका चुनाव से पहले महायुति के भीतर तनाव खुलकर सामने आ गया है। भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच तालमेल की कोशिशें फिलहाल सफल नहीं हो रही हैं। दोनों दलों ने ठाणे में अलग-अलग चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है, जिससे गठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठने लगे हैं।


राजनीतिक हलकों में पिछले कुछ दिनों से चर्चा चल रही थी कि ठाणे को लेकर दोनों सहयोगी दलों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। लगातार बैठकों और बातचीत के बावजूद जब कोई ठोस समाधान नहीं निकला, तो शिवसेना (शिंदे गुट) ने स्वतंत्र रूप से प्रचार करने का निर्णय लिया।


एकनाथ शिंदे का राजनीतिक गढ़

ठाणे को एकनाथ शिंदे का मजबूत राजनीतिक गढ़ माना जाता है। ऐसे में यहां शिवसेना और बीजेपी के बीच खींचतान और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। शिवसेना के बाद अब बीजेपी ने भी अपने स्तर पर चुनावी गतिविधियों को तेज कर दिया है। पार्टी ने शहर के लगभग 16 प्रमुख स्थानों पर बड़े-बड़े प्रचार बैनर लगाए हैं। इन बैनरों पर "नमो भारत, नमो ठाणे" जैसे नारों के जरिए विकास और राष्ट्र निर्माण का संदेश देने की कोशिश की गई है। साथ ही केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं और विकास कार्यों को प्रमुखता से दर्शाया गया है, ताकि मतदाताओं तक अपनी उपलब्धियां पहुंचाई जा सकें।


राजनीतिक जानकारों की राय

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों दलों के बीच मुख्य समस्या सीट बंटवारे को लेकर है। ठाणे में किस पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगी, इस पर सहमति नहीं बन सकी है। अब तक शिवसेना के साथ गठबंधन को लेकर कोई अंतिम और स्पष्ट प्रस्ताव सामने नहीं आया है। चुनाव की तारीख नजदीक आने के कारण प्रचार के लिए समय तेजी से कम होता जा रहा है। इसी दबाव के चलते बीजेपी ने इंतजार करने के बजाय अकेले मैदान में उतरकर प्रचार शुरू करने का निर्णय लिया है।


राजनीतिक माहौल में गर्माहट

बीजेपी के इस कदम के बाद राजनीतिक माहौल और गर्म हो गया है। सभी की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि शिंदे गुट की शिवसेना इस स्थिति पर क्या रुख अपनाती है। ठाणे जैसे शिवसेना के परंपरागत गढ़ में बीजेपी का स्वतंत्र प्रचार राज्य की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत भी माना जा रहा है। आने वाले दिनों में महायुति के भीतर की यह खींचतान किस दिशा में जाती है, इस पर पूरे महाराष्ट्र की राजनीति की नजर बनी हुई है और सियासी हलचल और तेज होने की संभावना जताई जा रही है।