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तेज प्रताप यादव की चुनावी हार के बाद कार्यकर्ताओं के साथ महत्वपूर्ण बैठक

तेज प्रताप यादव ने बिहार चुनाव में अपनी पार्टी की हार के बाद कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में उन्होंने हार और जीत के महत्व पर चर्चा की और विधायक बनने के बाद कुर्सी को अपनी संपत्ति न समझने का संदेश दिया। चुनाव में उनकी हार के कारणों और परिवार के समर्थन में उनके बयानों पर भी चर्चा की गई। जानें इस बैठक में तेज प्रताप ने क्या कहा और चुनाव परिणामों का उनके राजनीतिक भविष्य पर क्या असर हो सकता है।
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तेज प्रताप यादव की चुनावी हार के बाद कार्यकर्ताओं के साथ महत्वपूर्ण बैठक

पटना में तेज प्रताप की बैठक


पटना: जनशक्ति जनता दल के अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री तेज प्रताप यादव ने बिहार चुनाव में पार्टी की हार के बाद कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाने के लिए मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया। यह बैठक उनके निवास पर हुई, जहां उन्होंने कार्यकर्ताओं को बताया कि हार और जीत जीवन का हिस्सा हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी विधायक बनने पर अपनी कुर्सी को अपनी संपत्ति न समझे।


तेज प्रताप की हार का कारण

पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को इस चुनाव में निराशा का सामना करना पड़ा। वह महुआ विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में थे, लेकिन उन्हें तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। इस क्षेत्र में लोजपा (राम विलास) के उम्मीदवार संजय कुमार सिंह ने जीत हासिल की, जिन्होंने आरजेडी के मुकेश कुमार रौशन को 44,997 वोटों के बड़े अंतर से हराया।


राजद से निष्कासन का प्रभाव

निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, संजय कुमार सिंह को 87,641 वोट मिले, जबकि आरजेडी के रौशन को 42,644 मत प्राप्त हुए। तेज प्रताप यादव को केवल 35,703 वोट मिले। यह चुनाव उनके लिए खास था, क्योंकि उन्होंने हाल ही में राजद से निष्कासित होने के बाद अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल का गठन किया था। उन्हें मई में राजद से छह साल के लिए निष्कासित किया गया था।


तेज प्रताप का परिवार के समर्थन में बयान

इससे पहले, तेज प्रताप यादव ने अपनी बहन रोहिणी आचार्य के समर्थन में अपने भाई तेजस्वी यादव और उनके सहयोगी संजय यादव पर आरोप लगाए थे। रोहिणी ने हाल ही में अपने भाई और संजय पर अपमान का आरोप लगाया था। तेज प्रताप ने पीएम मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बिहार सरकार से अपील की है कि उनके माता-पिता को मानसिक परेशानी न हो। उन्होंने इस संकट के लिए 'जयचंद' को जिम्मेदार ठहराया, जिसे वह गद्दारों के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।