दिल्ली के पास अल-फलाह यूनिवर्सिटी में आतंकी साजिश का खुलासा: क्या है पूरा मामला?
आतंकी साजिश का केंद्र बनी अल-फलाह यूनिवर्सिटी
नई दिल्ली: फरीदाबाद में स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी अब एक गंभीर आतंकी साजिश का केंद्र बन गई है, जिसने दिल्ली को हिला कर रख दिया है। हाल ही में लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए कार विस्फोट की जांच में यह बात सामने आई है कि इस हमले की योजना इसी विश्वविद्यालय में बनाई गई थी।
इस हमले में 13 लोगों की जान गई थी। जांच में यह भी पता चला कि विस्फोट में इस्तेमाल की गई हुंडई i20 कार को डॉ. उमर मोहम्मद चला रहे थे, जिनकी मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस ने अन्य तीन डॉक्टरों, डॉ. मुजम्मिल शकील, डॉ. अदील राथर और डॉ. शहीद सईद को हिरासत में लिया है।
साजिश की योजना का निर्माण
सूत्रों के अनुसार, अल-फलाह यूनिवर्सिटी के बिल्डिंग नंबर 17 के कमरा नंबर 13 में इन डॉक्टरों ने कई बार गुप्त बैठकें कीं। यह कमरा डॉ. मुजम्मिल का था, जहां दिल्ली और उत्तर प्रदेश में सिलसिलेवार हमलों की योजना बनाई गई। बताया जा रहा है कि 6 दिसंबर को, बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर, दिल्ली-एनसीआर में बड़े हमलों की योजना थी।
विस्फोटक सामग्री की खरीदारी
चारों आरोपियों ने मिलकर लगभग 20 लाख रुपये इकट्ठा किए, जिसका उपयोग आतंकवादी गतिविधियों के लिए किया गया। यह राशि डॉ. उमर के पास थी, जिन्होंने गुरुग्राम, नूंह और आसपास के क्षेत्रों से 26 क्विंटल NPK खाद खरीदी। लगभग 3 लाख रुपये की इस खरीद का उद्देश्य इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) तैयार करना था। पुलिस को संदेह है कि यह खाद अन्य रसायनों के साथ मिलाकर विस्फोट में इस्तेमाल की गई थी।
रसायनों की तस्करी का मामला
जांच में यह भी सामने आया कि आतंकियों ने विश्वविद्यालय की लैब से रासायनिक पदार्थों की चोरी की थी। ये रसायन बाद में फरीदाबाद के धौज और तागा गांवों में किराए के मकानों में रखे गए। एटीएस ने डॉ. मुजम्मिल के कमरे से कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, पेन ड्राइव और दो डायरी बरामद की हैं, जिनमें संदिग्ध कोडवर्ड्स और ऑपरेशन के नाम लिखे हुए थे। फोरेंसिक जांच में लैब से अमोनियम नाइट्रेट और अन्य रसायनों के अवशेष भी मिले हैं।
350 किलो अमोनियम नाइट्रेट की बरामदगी
फरीदाबाद और नूंह में छापेमारी के दौरान पुलिस ने 2,000 किलो से अधिक विस्फोटक सामग्री जब्त की है, जिसमें 350 किलो अमोनियम नाइट्रेट, फ्यूल ऑयल और अन्य रासायनिक यौगिक शामिल हैं, जिनका उपयोग ANFO एक्सप्लोसिव बनाने में होता है। पुलिस का मानना है कि यह सारा सामान दिसंबर में संभावित हमले के लिए इकट्ठा किया गया था।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी का बयान
विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और कहा है कि इन डॉक्टरों का संस्थान से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है। प्रबंधन ने कहा कि हमारे दो फैकल्टी मेंबरों को जांच एजेंसियों ने हिरासत में लिया है, लेकिन विश्वविद्यालय का उनसे कोई निजी या संस्थागत जुड़ाव नहीं है। कुलपति भूपिंदर कौर अनन ने कहा कि कुछ रिपोर्टें जानबूझकर विश्वविद्यालय की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए फैलाई जा रही हैं।
जांच एजेंसियों की नजर में पूरा नेटवर्क
एनआईए और यूपी एटीएस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी का इस्तेमाल जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे आतंकी संगठनों ने कैसे किया। सुरक्षा एजेंसियां यह भी जांच कर रही हैं कि क्या अन्य शिक्षण संस्थानों में भी ऐसे नेटवर्क मौजूद हैं। इस पूरे मामले ने एक बार फिर शिक्षण संस्थानों में कट्टरपंथ की घुसपैठ पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
