दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त कदम: बिना PUC वाले वाहनों को नहीं मिलेगा ईंधन
दिल्ली सरकार का नया फैसला
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता में निरंतर गिरावट को देखते हुए, दिल्ली सरकार ने एक महत्वपूर्ण और कठोर निर्णय लिया है। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने मंगलवार को बताया कि गुरुवार से ऐसे वाहनों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन नहीं दिया जाएगा जिनके पास वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र (PUCC) नहीं है। इस कदम का उद्देश्य सड़कों पर प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की संख्या को कम करना है।
वायु गुणवत्ता सूचकांक की गंभीर स्थिति
यह निर्णय तब लिया गया है जब दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार तीन दिनों तक 'गंभीर' श्रेणी में बना रहा। मंगलवार को स्थिति में थोड़ी राहत मिली, लेकिन AQI अभी भी 'बहुत खराब' श्रेणी में है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्तर स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है, विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए।
PUC नियमों की अनदेखी
आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में बड़ी संख्या में वाहन बिना वैध प्रदूषण प्रमाण पत्र के चल रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर में पुलिस द्वारा जारी किए गए चालानों में से 54,615 चालान बिना PUC के वाहन चलाने पर काटे गए, जो कुल चालानों का लगभग 17 प्रतिशत है। अक्टूबर में यह संख्या बढ़कर 68,986 हो गई, जो कुल का लगभग 23 प्रतिशत है।
सख्ती की आवश्यकता
पर्यावरण मंत्री सिरसा ने कहा कि नियमों को सख्ती से लागू किए बिना प्रदूषण पर नियंत्रण पाना मुश्किल है। उन्होंने स्पष्ट किया कि PUC प्रमाण पत्र केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि वाहन निर्धारित मानकों के अनुसार प्रदूषण फैला रहे हैं। ईंधन न देने का निर्णय लोगों को नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करेगा।
AAP पर आरोप
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, मनजिंदर सिंह सिरसा ने प्रदूषण की वर्तमान स्थिति के लिए पूर्व आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि यह संकट अचानक नहीं आया, बल्कि वर्षों की लापरवाही का परिणाम है। सिरसा ने यह भी कहा कि किसी भी सरकार के लिए कुछ महीनों में AQI को सुधारना संभव नहीं है।
जनता से सहयोग की अपील
सरकार ने दिल्लीवासियों से अनुरोध किया है कि वे अपने वाहनों का PUC समय पर बनवाएं और सार्वजनिक परिवहन का अधिकतम उपयोग करें। अधिकारियों का कहना है कि केवल सरकारी प्रयासों से प्रदूषण कम नहीं होगा, इसके लिए जनता की भागीदारी भी आवश्यक है।
भविष्य में और सख्ती
यदि स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो आने वाले दिनों में और भी कठोर कदम उठाए जा सकते हैं। सरकार का ध्यान फिलहाल वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर है, लेकिन निर्माण कार्य, कूड़ा जलाने और औद्योगिक उत्सर्जन पर भी निगरानी बढ़ाई जा सकती है।
