दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र: फीस विनियमन विधेयक और सीएजी रिपोर्टों पर चर्चा
दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र शुरू
दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार से आरंभ हो रहा है। इस बार का सत्र राजधानी के नागरिकों, विशेषकर अभिभावकों और श्रमिकों के मुद्दों पर केंद्रित रहेगा। निजी स्कूलों की फीस वृद्धि पर रोक लगाने वाला विधेयक चर्चा का मुख्य विषय होगा, जबकि आम आदमी पार्टी के पूर्व शासनकाल पर सीएजी की रिपोर्टों के माध्यम से राजनीतिक विवाद भी देखने को मिल सकता है.इस बार का सत्र तकनीकी दृष्टि से भी विशेष होगा, क्योंकि यह पूरी तरह से "पेपरलेस" होगा। इसका अर्थ है कि सभी कार्यवाहियाँ डिजिटल माध्यम से संचालित की जाएंगी, जिससे पारदर्शिता और गति में वृद्धि होगी.
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता विधानसभा में दो महत्वपूर्ण सीएजी रिपोर्टें पेश करेंगी। पहली रिपोर्ट 2023-24 के राज्य वित्त से संबंधित है, जबकि दूसरी रिपोर्ट श्रमिक कल्याण योजनाओं, विशेषकर भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिकों के लिए बनाई गई योजनाओं के कार्यान्वयन की स्थिति को उजागर करेगी.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये रिपोर्टें आम आदमी पार्टी के पिछले शासन में हुई खामियों को उजागर कर सकती हैं, जिससे विपक्ष के लिए जवाब देना मुश्किल हो सकता है.
अभिभावकों के लिए राहत की उम्मीद: शिक्षा मंत्री आशीष सूद "दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण एवं विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025" पेश करेंगे। यह विधेयक निजी स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने को नियंत्रित करने का प्रयास करेगा.
इस विधेयक में न केवल पारदर्शिता सुनिश्चित करने की बात की गई है, बल्कि फीस वृद्धि पर सख्त सज़ाओं का भी प्रावधान है। पहली बार नियम तोड़ने पर स्कूलों पर ₹1 लाख से ₹5 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा। बार-बार उल्लंघन करने पर यह राशि ₹10 लाख तक पहुँच सकती है.
यदि स्कूल निर्धारित समय सीमा में अतिरिक्त ली गई फीस को वापस नहीं करते, तो उस पर बढ़ता हुआ जुर्माना लागू होगा — जो 20 दिन बाद दोगुना, 40 दिन बाद तिगुना और हर 20 दिन की देरी पर और अधिक बढ़ता जाएगा. लगातार नियमों की अनदेखी करने वाले स्कूलों पर प्रशासनिक प्रतिबंध भी लगाए जा सकते हैं.