नारनौल में सरपंच के खिलाफ कार्रवाई: पंचायती जमीन के दुरुपयोग के आरोप में निलंबन

नारनौल में सरपंच का निलंबन
Narnaul News: नारनौल में सरपंच के खिलाफ सख्त कार्रवाई: पंचायती जमीन के दुरुपयोग के आरोप में निलंबन: हरियाणा के नारनौल जिले में प्रशासन ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिसमें अमरपुर जोरासी गांव के सरपंच हरिराम को पंचायती भूमि को अपने परिवार के नाम करने के आरोप में निलंबित किया गया है। यह निर्णय जिला कलेक्टर विवेक भारती के निर्देश पर लिया गया, जब ग्रामीणों की शिकायत के बाद जांच में आरोप सही पाए गए।
यह घटना न केवल स्थानीय चर्चा का विषय बनी है, बल्कि यह पंचायती व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्व को भी उजागर करती है। यह कदम उन ग्रामीणों के लिए राहत की खबर है, जो अपनी पंचायती भूमि के दुरुपयोग से चिंतित थे।
मामला 2023 में शुरू हुआ, जब अमरपुर जोरासी के निवासी बिजेंद्र कुमार और अन्य ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर को शिकायत की कि सरपंच हरिराम ने पंचायती भूमि को अनुचित तरीके से अपने रिश्तेदारों के नाम पर दर्ज कर लिया। इस शिकायत के आधार पर उप-मंडल अधिकारी ने गहन जांच की, जिसमें पंचायती भूमि के दुरुपयोग के सबूत मिले।
जांच के निष्कर्षों के आधार पर, जिला कलेक्टर ने खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी को सरपंच को तुरंत निलंबित करने का आदेश दिया। यह कार्रवाई पंचायती भूमि के संरक्षण और ग्रामीणों के हितों की रक्षा के लिए एक मजबूत संदेश देती है।
सरपंच हरिराम ने अपने बचाव में कहा कि उनके खिलाफ की गई कार्रवाई राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने पंचायत की ओर से लगभग 30 एकड़ भूमि से अवैध कब्जा हटवाया था, जिसके कारण कुछ लोग उनसे नाराज थे। हरिराम का कहना है कि प्रशासन ने उनकी बात सुने बिना यह कदम उठाया। हालांकि, ग्रामीण इस कार्रवाई से संतुष्ट हैं और मानते हैं कि इससे गांव में पंचायती व्यवस्था में विश्वास बहाल होगा।
यह घटना अन्य पंचायतों के लिए भी एक चेतावनी है कि सार्वजनिक संपत्ति का गलत उपयोग सहन नहीं किया जाएगा।
यह कदम हरियाणा में पंचायती राज को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। पंचायती भूमि का उपयोग गांव के सामुदायिक विकास के लिए किया जाता है, और इसका दुरुपयोग ग्रामीणों के अधिकारों का उल्लंघन है। ग्रामीणों से अपील की जाती है कि वे ऐसी अनियमितताओं पर ध्यान दें और समय पर प्रशासन को सूचित करें। यह कार्रवाई न केवल स्थानीय स्तर पर पारदर्शिता को बढ़ावा देगी, बल्कि अन्य गांवों के लिए भी प्रेरणा बनेगी कि वे अपनी पंचायती संपत्ति की रक्षा के लिए एकजुट हों।