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नोबेल फाउंडेशन की निदेशक ने भारत में ज्ञान साझा करने की महत्ता पर जोर दिया

बेंगलुरु में नोबेल प्राइज डायलॉग के दौरान, हन्ना स्टर्जेन ने भारतीय छात्रों और शोधकर्ताओं के ज्ञान साझा करने की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि ऐसे आयोजनों से विचारों का आदान-प्रदान होता है, जो सभी के लिए सीखने का अवसर प्रदान करता है। स्टर्जेन ने बेंगलुरु सत्र की सफलता की सराहना की और मुंबई में होने वाले अगले सत्र के लिए उत्सुकता व्यक्त की। यह आयोजन ज्ञान, रचनात्मकता और युवाओं में निवेश पर केंद्रित है, जिससे एक समावेशी और टिकाऊ भविष्य का निर्माण किया जा सके।
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नोबेल फाउंडेशन की निदेशक ने भारत में ज्ञान साझा करने की महत्ता पर जोर दिया

ज्ञान साझा करने का महत्व

बेंगलुरु: नोबेल फाउंडेशन की कार्यकारी निदेशक हन्ना स्टर्जेन ने सोमवार को कहा कि आज का दिन इस बात का एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि हम कैसे एकजुट होकर संवाद कर सकते हैं और भविष्य के लिए आवश्यक ज्ञान का आदान-प्रदान कर सकते हैं।


इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) में नोबेल प्राइज डायलॉग के दौरान स्टर्जेन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि भारतीय छात्रों और शोधकर्ताओं का 'उत्साह और जिज्ञासा' भारत की सीखने और सहयोग की गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।


उन्होंने कहा, "जब हम इस प्रकार की बैठकें आयोजित करते हैं, तो हम कई पुरस्कार विजेताओं को एक मंच पर लाते हैं। ये सभी पुरस्कार विजेता यहां संवाद करने और सवालों के उत्तर देने के लिए उपस्थित होते हैं।"


स्टर्जेन ने आगे कहा, "इस तरह के आयोजन छात्रों, आम जनता और पुरस्कार विजेताओं के बीच विचारों का आदान-प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनते हैं। यह एक ऐसा अवसर है जहां सभी को एक-दूसरे से सीखने का मौका मिलता है।"


उन्होंने बेंगलुरु सत्र की सफलता की सराहना करते हुए कहा कि आज के सत्र में इतने सारे प्रश्न थे कि हम इस चर्चा को और अधिक समय तक जारी रख सकते थे।


स्टर्जेन ने उत्सुकता व्यक्त की कि वह कल मुंबई में दर्शकों द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों को सुनने के लिए तैयार हैं।


उन्होंने इस आयोजन को संभव बनाने वाले सहयोग की भी प्रशंसा की और इसे एक बेहतरीन साझेदारी बताया, जो बहुत अच्छी तरह से कार्य कर रही है।


आईआईएससी बेंगलुरु में नोबेल प्राइज डायलॉग सुबह 10:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक आयोजित किया गया। इस आयोजन की थीम 'द फ्यूचर वी वांट' रही। यह एक डबल इवेंट के रूप में बेंगलुरु और उसके बाद मुंबई में आयोजित किया जा रहा है।


यह डायलॉग नोबेल प्राइज विजेताओं को जाने-माने विचारकों के साथ लाता है और सभी के लिए आवश्यक विचारों और चुनौतियों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करता है। भारत में होने वाले डायलॉग इस बात पर ध्यान केंद्रित करेंगे कि ज्ञान, रचनात्मकता और युवाओं में निवेश के साथ एक ऐसी दुनिया कैसे बनाई जाए, जो समावेशी, टिकाऊ और नवाचार से भरी हो।