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पंजाब में बाढ़ का पानी घटा, लेकिन चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं

पंजाब में बाढ़ का पानी घटने के बावजूद, जनजीवन सामान्य स्थिति में नहीं लौटा है। लोग अपने घरों की ओर लौट रहे हैं, लेकिन जलजनित बीमारियों का खतरा बना हुआ है। स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार निगरानी रख रही हैं। जानें बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति और राहत कार्यों के बारे में।
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पंजाब में बाढ़ का पानी घटा, लेकिन चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं

लोग लौट रहे हैं, लेकिन जीवन सामान्य नहीं हुआ


घरों की तरफ लौट रहे लोग लेकिन अभी जिंदगी पटरी पर नहीं लौटी


इस वर्ष के मानसून के दौरान पंजाब में बाढ़ ने व्यापक तबाही मचाई। राज्य के अधिकांश हिस्से बाढ़ की चपेट में आ गए, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में। किसानों और पशुपालकों को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा है। अब जबकि बाढ़ का पानी अधिकांश स्थानों से घट चुका है, लोग अपने घरों की ओर लौटने लगे हैं।


हालांकि, जीवन को सामान्य स्थिति में लाने में अभी समय लगेगा। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में कोई जानी नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन जालंधर से एक व्यक्ति लापता है। आपदा प्रबंधन मंत्री हरदीप सिंह मुंडियां ने बताया कि राहत शिविरों की संख्या 111 से घटाकर 100 कर दी गई है।


राहत शिविरों में रह रहे लोग

4 हजार से ज्यादा राहत शिविरों में रह रहे


वर्तमान में 4,125 लोग राहत शिविरों में निवास कर रहे हैं, जबकि एक दिन पहले यह संख्या 4,585 थी। मंत्री ने बताया कि जालंधर से एक व्यक्ति लापता है, और पठानकोट से तीन लोग अभी भी गायब हैं। जैसे-जैसे पानी घटता जाएगा, पशुओं और बुनियादी ढांचे को हुए वास्तविक नुकसान का आकलन किया जाएगा। पंजाब के निचले क्षेत्रों के लिए पौंग बांध से चेतावनी जारी की गई है, क्योंकि पानी की आवक बढ़ने की संभावना है।


बीमारियों का खतरा

जनजनित बीमारियां फैलने का बना है डर


पंजाब में पिछले 15 दिनों से बाढ़ का पानी फैला हुआ है। हालांकि, अब अधिकांश स्थानों से पानी कम हो गया है और लोग अपने घरों की ओर लौट रहे हैं। इस स्थिति में, लोगों को बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई की चिंता है, वहीं जलजनित बीमारियों के फैलने का खतरा भी बना हुआ है। विशेष रूप से, बाढ़ में मरे जानवरों के शवों से फैलने वाली बीमारियों का खतरा है।


स्वास्थ्य विभाग की निगरानी

स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार रख रही निगरानी


अमृतसर में रावी दरिया में आई बाढ़ के बाद, पानी धीरे-धीरे निकल रहा है, लेकिन मरे हुए पशुओं के कारण कई बीमारियों का फैलाव शुरू हो गया है। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार लोगों की जांच कर रही हैं और हर क्षेत्र पर नजर रखी जा रही है। इसके अलावा, सुअरों में रिकन स्वाइन फीवर फैलने का खतरा भी है, जिसके चलते बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सुअर और उनके मांस लाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है।


बाढ़ से हुई मौतों की संख्या

अभी तक 55 लोगों की हो चुकी मौत


बाढ़ के कारण मरने वालों की संख्या 55 तक पहुंच गई है। हाल ही में फाजिल्का और मानसा जिले में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है। पठानकोट में लापता लोगों का अभी तक कोई पता नहीं चला है। आपदा प्रबंधन मंत्री हरदीप सिंह मुंडियां ने यह जानकारी दी। पानी भले ही घट रहा है, लेकिन बाढ़ का कहर जारी है। प्रभावित गांवों की संख्या 2,214 हो गई है और प्रभावित व्यक्तियों की संख्या 3,88,508 तक पहुंच गई है।