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पंजाब में बाढ़ से भारी तबाही: 22 जिलों में राहत कार्य जारी

पंजाब में अगस्त 2025 से आई बाढ़ ने राज्य को गंभीर संकट में डाल दिया है, जिससे 22 जिलों के 1,996 गांव प्रभावित हुए हैं। इस आपदा ने 3,87,013 लोगों को प्रभावित किया है और 46 लोगों की जान चली गई है। राहत कार्यों में पंजाब सरकार, NDRF, और भारतीय सेना जुटी हुई हैं। जानें बाढ़ के कारण, प्रभावित क्षेत्रों और राहत कार्यों की स्थिति के बारे में।
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पंजाब में बाढ़ से भारी तबाही: 22 जिलों में राहत कार्य जारी

पंजाब में बाढ़ का संकट

पंजाब बाढ़: अगस्त 2025 से पंजाब में आई भीषण बाढ़ ने राज्य को गंभीर संकट में डाल दिया है। अत्यधिक बारिश, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में बादल फटने, और पोंग, रंजीत सागर, तथा भाखड़ा बांधों से अतिरिक्त जल निकासी ने सतलुज, ब्यास, और रवि नदियों में जलस्तर को बढ़ा दिया है। इस प्राकृतिक आपदा ने 22 जिलों के 1,996 गांवों को प्रभावित किया है, जिससे 3,87,013 लोग प्रभावित हुए हैं। 6 सितंबर 2025 तक, बाढ़ के कारण 46 लोगों की जान चली गई है और 1.74 लाख हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। पंजाब के राजस्व, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन मंत्री सरदार हरदीप सिंह मुंडियां ने बताया कि राहत और बचाव कार्यों में पंजाब सरकार, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), भारतीय सेना, और अन्य एजेंसियां जुटी हुई हैं।


बाढ़ से हुई व्यापक तबाही

पंजाब के 22 जिलों में बाढ़ ने व्यापक तबाही मचाई है, जिसमें 1,996 गांव प्रभावित हुए हैं। गुरदासपुर, कपूरथला, होशियारपुर, और अमृतसर सबसे अधिक प्रभावित जिलों में शामिल हैं। पिछले 24 घंटों में 48 और गांव जलमग्न हुए हैं, जिनमें जालंधर के 19, लुधियाना के 13, फिरोजपुर के 6, अमृतसर के 5, होशियारपुर के 4, और फाजिल्का का 1 गांव शामिल है। इस आपदा ने 3,87,013 लोगों को प्रभावित किया है और पिछले 24 घंटों में 2,691 और लोग इसकी चपेट में आए हैं। दुखद रूप से, अमृतसर और रूपनगर में पिछले 24 घंटों में 3 और मौतें हुईं, जिससे कुल मृतकों की संख्या 46 हो गई है। पठानकोट में 3 लोग अभी भी लापता हैं और उनकी तलाश जारी है।


कृषि क्षेत्र पर बाढ़ का प्रभाव

कृषि क्षेत्र को इस बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है। अब तक 18 जिलों में 1,74,000 हेक्टेयर फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है, जिसमें पिछले 24 घंटों में 2,131 हेक्टेयर और शामिल हुआ है। सबसे अधिक प्रभावित जिले गुरदासपुर (40,169 हेक्टेयर), फाजिल्का (18,649 हेक्टेयर), फिरोजपुर (17,257 हेक्टेयर), और कपूरथला (17,574 हेक्टेयर) हैं। इसके अलावा, होशियारपुर, तरन तारन, संगरूर, और एस.ए.एस नगर में भी हजारों हेक्टेयर फसलें तबाह हुई हैं। पशुधन की हानि और बुनियादी ढांचे को नुकसान, जैसे सड़कों और पुलों का टूटना, ने कई गांवों को पूरी तरह अलग-थलग कर दिया है। यह स्थिति किसानों और ग्रामीण समुदायों के लिए गंभीर आर्थिक संकट पैदा कर रही है।


बचाव कार्यों की गति

पंजाब सरकार और विभिन्न एजेंसियों ने बाढ़ प्रभावित लोगों की सहायता के लिए युद्धस्तर पर प्रयास शुरू किए हैं। अब तक 22,854 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, जिनमें पिछले 24 घंटों में 925 लोग शामिल हैं। गुरदासपुर में 5,581, फाजिल्का में 4,202, फिरोजपुर में 3,888, और अमृतसर में 3,260 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। अन्य जिलों जैसे होशियारपुर, पठानकोट, और कपूरथला में भी बड़े पैमाने पर निकासी हुई है।


राहत कैंपों की स्थिति

वर्तमान में, पूरे राज्य में 139 राहत कैंप संचालित हैं, जिनमें 6,121 लोग ठहरे हुए हैं। बाढ़ की शुरुआत से अब तक कुल 219 कैंप स्थापित किए गए हैं। फाजिल्का में 14 कैंपों में 2,588 लोग, बरनाला में 49 कैंपों में 527 लोग, और होशियारपुर में 4 कैंपों में 921 लोग ठहरे हैं। रूपनगर, मोगा, और मानसा में भी कैंप स्थापित किए गए हैं, जहां प्रभावित लोगों को भोजन, पानी, और चिकित्सा सहायता प्रदान की जा रही है। इन कैंपों में स्वच्छता और बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन दिन-रात काम कर रहा है।


बचाव कार्यों में शामिल एजेंसियां

राहत कार्यों में 23 NDRF टीमें, 2 SDRF टीमें, भारतीय सेना की 27 टुकड़ियां, और 7 इंजीनियर टास्क फोर्स शामिल हैं। भारतीय वायुसेना और सेना के 9 हेलीकॉप्टर, एक स्टेट हेलीकॉप्टर, और 158 नावें बचाव कार्यों में लगी हैं। BSF फिरोजपुर सेक्टर में सहायता प्रदान कर रही है। भारतीय वायुसेना ने मधोपुर हेडवर्क्स से 46 लोगों को निकाला और 750 किलोग्राम राहत सामग्री पहुंचाई। SAF इंटरनेशनल जैसी एनजीओ भी राशन किट, किराना, और चिकित्सा आपूर्ति वितरित कर रही हैं, जिससे प्रभावित लोगों को तत्काल राहत मिल रही है।


बाढ़ के कारण

इस बाढ़ का मुख्य कारण हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में भारी मॉनसूनी बारिश और बादल फटने की घटनाएं हैं, जिन्होंने सतलुज, ब्यास, और रवि नदियों में जलस्तर को खतरनाक स्तर तक बढ़ा दिया। पोंग बांध का जलस्तर 1,394.19 फीट तक पहुंच गया, जो इसकी अधिकतम सीमा 1,390 फीट से अधिक है। रंजीत सागर और भाखड़ा बांध भी अपनी क्षमता के करीब हैं, जिसके कारण अतिरिक्त पानी छोड़ना पड़ा। मधोपुर हेडवर्क्स के तीन फ्लडगेट्स टूटने से रवि नदी में पानी का प्रवाह अनियंत्रित हो गया, जिसने स्थिति को और गंभीर बना दिया। जलवायु परिवर्तन और अपर्याप्त बांध प्रबंधन ने भी इस आपदा को बढ़ाने में योगदान दिया है।


सरकार के प्रयास

पंजाब सरकार ने बाढ़ के प्रभाव को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। सभी कॉलेज, विश्वविद्यालय, और पॉलिटेक्निक संस्थानों को 3 सितंबर तक बंद करने का आदेश दिया गया है। मुख्यमंत्री और अन्य अधिकारियों ने केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता की मांग की है, लेकिन कुछ नेताओं ने केंद्र पर सहायता में भेदभाव का आरोप लगाया है। जिला प्रशासनों को राहत कैंपों में भोजन, चिकित्सा सुविधाएं, और स्वच्छता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। पंजाब के राजस्व, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन मंत्री सरदार हरदीप सिंह मुंडियां ने सशस्त्र सेनाओं और अन्य एजेंसियों के योगदान की सराहना की है। सामाजिक संगठनों और स्थानीय समुदायों ने भी प्रभावित लोगों की मदद के लिए कदम उठाए हैं, जिससे राहत कार्यों को और बल मिला है।