पंजाब-हरियाणा जल विवाद: एसवाईएल मुद्दे पर नई वार्ता की तैयारी

पंजाब और हरियाणा के बीच जल विवाद पर चर्चा
पंजाब और हरियाणा के बीच एसवाईएल मुद्दे पर बातचीत का नया दौर
चंडीगढ़। सतलुज-यमुना लिंक नहर का विवाद पिछले कई दशकों से पंजाब और हरियाणा के बीच एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है। यह मुद्दा हर चुनाव में प्रमुखता से उठता है और राजनीतिक दल इसका लाभ उठाते हैं। अब केंद्र सरकार इस विवाद को सुलझाने के लिए सक्रिय कदम उठा रही है।
केंद्र सरकार ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच एक बैठक का आयोजन किया है, जो 9 जुलाई को दिल्ली में होगी। इस बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल शामिल होंगे। दोनों राज्य अपनी-अपनी स्थिति को मजबूती से प्रस्तुत करने की तैयारी कर रहे हैं।
सीएम द्वारा दस्तावेजों की तैयारी
दोनों मुख्यमंत्रियों ने अपने अधिकारियों को पिछले बैठकों के ब्योरे और संबंधित दस्तावेजों को तैयार करने का निर्देश दिया है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सुझाव दिया है कि सतलुज-यमुना लिंक नहर के बजाय यमुना-सतलुज लिंक नहर के निर्माण पर विचार किया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी बताया कि 12 मार्च, 1954 को हुए समझौते में यमुना के पानी से सिंचाई के लिए किसी विशेष क्षेत्र का उल्लेख नहीं किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
मई में, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा को इस मामले को सुलझाने के लिए केंद्र के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने जल शक्ति मंत्री को इस मामले में मध्यस्थता करने के लिए नियुक्त किया था और उनसे सक्रिय भूमिका निभाने की अपेक्षा की थी।
पंजाब के जल संकट पर ध्यान
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने नीति आयोग की टीम के सामने पंजाब के जल संकट का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि राज्य के कई जिले डार्क जोन में जा चुके हैं और जल संकट गंभीर हो सकता है।
उन्होंने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के पक्षपातपूर्ण रवैये का भी उल्लेख किया, जो पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के तहत स्थापित किया गया था।