प्रधानमंत्री मोदी की साइप्रस यात्रा: भारत और साइप्रस के रिश्तों में नया अध्याय
भारत और साइप्रस के बीच ऐतिहासिक संबंध
भारत और साइप्रस, जो भौगोलिक दृष्टि से दूर हैं, के बीच सदियों से गहरे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंध रहे हैं। इस सप्ताह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साइप्रस की यात्रा पर जा रहे हैं, जो पिछले 23 वर्षों में किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा की गई पहली यात्रा है। यह यात्रा भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, खासकर तुर्की और पाकिस्तान के संदर्भ में, जो भारत की एकता को चुनौती देने का प्रयास कर रहे हैं।भारत और साइप्रस के बीच संबंध प्राचीन काल से हैं। साइप्रस, जो भूमध्य सागर में स्थित एक छोटा सा द्वीप देश है, ने भारतीय व्यापारियों और बौद्ध मिशनरियों के माध्यम से सांस्कृतिक और धार्मिक आदान-प्रदान का अनुभव किया। 1960 में, जब साइप्रस ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की, तब दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए।
स्वतंत्रता के बाद से, साइप्रस ने भारत के परमाणु परीक्षण और कश्मीर जैसे मुद्दों पर हमेशा समर्थन किया है। भारत ने भी साइप्रस की क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन किया है, विशेषकर 1974 में तुर्की के आक्रमण के बाद।
साइप्रस की जनसंख्या लगभग 10 लाख है, लेकिन यह कई कारणों से भारत के लिए महत्वपूर्ण है। यह पूर्वी भूमध्य सागर में स्थित है और यूरोप, एशिया और अफ्रीका को जोड़ता है। इसके ऊर्जा संसाधनों के कारण, भारत साइप्रस के साथ ऊर्जा सहयोग पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
साइप्रस, यूरोपीय संघ का सदस्य है और 2026 में इसकी परिषद की अध्यक्षता करेगा। यह भारत को यूरोप के साथ अपने व्यापार और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है।
प्रधानमंत्री मोदी 15-17 जून तक साइप्रस का दौरा करेंगे, जिससे न केवल भारत-साइप्रस के रिश्ते मजबूत होंगे, बल्कि तुर्की और पाकिस्तान को भी एक महत्वपूर्ण संदेश जाएगा।