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बिहार की मतदाता सूची में 65 लाख नामों का पुनरीक्षण: मुख्य चुनाव आयुक्त की जानकारी

बिहार की मतदाता सूची में 65 लाख नामों का पुनरीक्षण किया गया है, जैसा कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत, हटाए गए नामों की सूची अब जिला मजिस्ट्रेटों की वेबसाइटों पर उपलब्ध है। इस प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की गई है, और नागरिकों को दावे और आपत्तियां दर्ज करने का अवसर दिया गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने भ्रामक प्रचार के खिलाफ चेतावनी दी है और नागरिकों से आधिकारिक स्रोतों से जानकारी प्राप्त करने की अपील की है।
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बिहार की मतदाता सूची में 65 लाख नामों का पुनरीक्षण: मुख्य चुनाव आयुक्त की जानकारी

बिहार में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण

नई दिल्ली: मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत हटाए गए नामों की सूची अब जिला मजिस्ट्रेटों की वेबसाइटों पर उपलब्ध है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह चुनाव आयोग को आदेश दिया था कि वह मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों का विवरण सार्वजनिक करे।


प्रेस कॉन्फ्रेंस में, मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि भारत में संसद और विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया एक बहु-स्तरीय और विकेंद्रीकृत ढांचे पर आधारित है। मतदाता सूची तैयार करने की जिम्मेदारी इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स (ईआरओ) और बूथ लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) की होती है, जो एसडीएम स्तर के अधिकारी होते हैं। इन अधिकारियों का कार्य सूची की सटीकता सुनिश्चित करना है।


उन्होंने बताया कि ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद इसकी डिजिटल और भौतिक प्रतियां सभी राजनीतिक दलों को प्रदान की जाती हैं, और इसे चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध कराया जाता है, ताकि कोई भी व्यक्ति इसे देख सके। इस प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता बरती जाती है।


दावे और आपत्तियों का अवसर
ज्ञानेश कुमार ने बताया कि बिहार में ड्राफ्ट मतदाता सूची 1 अगस्त को जारी की गई थी, जिस पर 1 सितंबर तक दावे और आपत्तियां दर्ज की जा सकती हैं। इस अवधि में कोई भी नागरिक या राजनीतिक दल पात्र मतदाताओं को शामिल करने या अपात्र नामों को हटाने का आवेदन कर सकता है। इससे अंतिम मतदाता सूची को त्रुटिरहित बनाने में मदद मिलती है।


मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी कहा कि कुछ राजनीतिक दल इस विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया को लेकर भ्रामक प्रचार कर रहे हैं, जो चिंता का विषय है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह पूरी प्रक्रिया कानूनी और पारदर्शी है। साथ ही नागरिकों से अपील की कि वे अफवाहों से बचें और केवल आधिकारिक स्रोतों से ही जानकारी प्राप्त करें।