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बिहार के विकास में केंद्र सरकार के विशेष पैकेज का योगदान

केंद्र सरकार द्वारा घोषित विशेष पैकेज ने बिहार के विकास को नई गति दी है। डबल इंजन की सरकार के प्रयासों से कौशल विकास, कृषि, मत्स्य पालन और भंडारण क्षमता के विकास में कई योजनाएं सफलतापूर्वक लागू की गई हैं। इस पैकेज के तहत 6.33 लाख युवाओं को प्रशिक्षण दिया गया है, और मत्स्य पालन क्षेत्र में 'ब्लू रेवोल्यूशन' का प्रभाव देखने को मिल रहा है। जानें और क्या-क्या योजनाएं चल रही हैं और उनका बिहार के विकास पर क्या असर हो रहा है।
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बिहार के विकास में केंद्र सरकार के विशेष पैकेज का योगदान

बिहार में विकास की नई दिशा

बिहार समाचार: केंद्र सरकार द्वारा घोषित विशेष पैकेज ने बिहार के विकास को एक नई गति प्रदान की है। डबल इंजन की सरकार के प्रयासों से कौशल विकास, कृषि, मत्स्य पालन और भंडारण क्षमता के विकास के लिए कई योजनाएं सफलतापूर्वक लागू की गई हैं, जबकि कुछ योजनाएं अपने अंतिम चरण में हैं।


युवाओं के कौशल विकास में भारी निवेश

6.33 लाख युवाओं पर खर्चे किए 508.40 करोड़ रुपये


प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के अंतर्गत राज्य में 1 लाख युवाओं के प्रशिक्षण के लक्ष्य के मुकाबले 6.33 लाख से अधिक युवाओं को प्रशिक्षण दिया गया है, जिसमें 508.40 करोड़ रुपये का खर्च आया है। 31 मार्च 2023 तक, पीएमकेवीवाई के तहत पावर सेक्टर में 11,894 उम्मीदवारों को प्रशिक्षण दिया गया, जिस पर 14.75 करोड़ रुपये खर्च हुए। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने 28 मई 2016 को पूसा को केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय का दर्जा दिया और मोतिहारी में एकीकृत खेती प्रणाली पर राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र की स्थापना की, जिस पर 62.25 करोड़ रुपये की लागत आई।


मत्स्य पालन में ‘ब्लू रेवोल्यूशन’ का प्रभाव

मत्स्य पालन क्षेत्र में ‘ब्लू रेवोल्यूशन’ का असर


पीएम मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत तालाब, बीज पालन केंद्र और मछुआरों के घरों का निर्माण किया गया, जिसमें कुल 31.96 करोड़ रुपये खर्च हुए। इसके अलावा, बिहार में मत्स्य क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 5.13 करोड़ रुपये की लागत से रोग निदान, परीक्षण प्रयोगशाला और खुदरा मछली बाजार जैसी परियोजनाएं पूरी होने वाली हैं। इन परियोजनाओं से मछली उत्पादन और किसानों की आय में वृद्धि होगी। जल प्रबंधन के तहत 32,577 हेक्टेयर क्षेत्र में सूक्ष्म सिंचाई की व्यवस्था की गई है, जिसकी लागत 165.96 करोड़ रुपये है। कृषि यंत्रीकरण के लिए 117.67 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई, हालांकि बीज परियोजना की 16.7 करोड़ रुपये की राशि बिहार सरकार को वापस करनी पड़ी।


भंडारण और साइलो निर्माण में प्रगति

भंडारण और साइलो निर्माण में भी प्रगति


खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के तहत 25 स्थानों पर 2.84 लाख मीट्रिक टन क्षमता के गोदामों का निर्माण किया गया, जिसमें 247.64 करोड़ रुपये खर्च हुए। दरभंगा, समस्तीपुर और कटिहार में कुल 1.50 लाख मीट्रिक टन क्षमता वाले साइलो का निर्माण भी किया गया है, जिसकी लागत 135 करोड़ रुपये है। इसके अलावा, बिहार के 16 स्थानों पर 7.25 लाख मीट्रिक टन क्षमता वाले साइलो का निर्माण चल रहा है, जिसकी अनुमानित लागत 652.5 करोड़ रुपये है।


बिहार के 8 जिलों में गोदामों का निर्माण जारी

बिहार के 8 जिलों गोदामों का निर्माण जारी


पीईजी योजना के तहत बिहार के सीतामढ़ी, शेखपुरा, आरा, गोपालगंज, सहरसा, नालंदा, हाजीपुर और समस्तीपुर में कुल 1.20 लाख मीट्रिक टन क्षमता के 8 गोदामों का निर्माण कार्य चल रहा है, जिसकी अनुमानित लागत 104.7 करोड़ रुपये है।