बिहार के सरकारी स्कूलों में नई तकनीकी व्यवस्था से शिक्षा में सुधार
बिहार के सरकारी स्कूलों में अनुशासन और गुणवत्ता में सुधार
बिहार के सरकारी स्कूलों में अनुशासन और शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर कई शिकायतें सामने आती रही हैं। लेकिन अब स्थिति में बदलाव आने वाला है। शिक्षा विभाग ने एक नई और सख्त तकनीकी प्रणाली लागू की है, जिससे शिक्षक और छात्र अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं पाएंगे।अब हर सरकारी स्कूल को अपनी दैनिक गतिविधियों की तस्वीरें खींचकर शिक्षा विभाग को भेजनी होंगी। इन तस्वीरों में यह स्पष्ट होना चाहिए कि:
- क्या प्रार्थना सभा आयोजित हुई?
- कितने छात्र और शिक्षक उपस्थित थे?
- पढ़ाई की गुणवत्ता कैसी थी?
हर फोटो में स्कूल का स्थान (आक्षांश-देशांश), समय और अन्य जानकारी अपने आप दर्ज होगी। इसका मतलब है कि यदि निर्धारित समय पर गतिविधियां नहीं होती हैं, तो तुरंत जवाबदेही तय की जाएगी और लापरवाहियों पर कार्रवाई की जाएगी।
सुबह की गतिविधियों के लिए, सभी शिक्षकों और छात्रों का सुबह 9:30 बजे तक स्कूल में उपस्थित होना अनिवार्य है। इसके बाद आधे घंटे का चेतना सत्र होगा, जिसमें प्रार्थना, बिहार राज्य गीत, राष्ट्रगीत, सामान्य ज्ञान के प्रश्न, प्रेरक कहानियां और बच्चों की सफाई की जांच शामिल होगी।
स्कूल खुलने से 15 मिनट पहले राष्ट्रगान बजाया जाएगा और उसके बाद मुख्य गेट बंद कर दिया जाएगा। देर से आने वाले छात्रों को उस दिन प्रवेश नहीं मिलेगा और उन्हें अगले दिन आने की अनुमति होगी।
पढ़ाई की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए नए नियम भी बनाए गए हैं। आदेश के अनुसार, दिन की पहली तीन घंटियों में केवल गणित, विज्ञान, हिंदी और अंग्रेजी की कक्षाएं होंगी। विभाग का मानना है कि इससे बच्चों की भाषा, गणितीय कौशल और वैज्ञानिक दृष्टिकोण में सुधार होगा।
नए मॉनिटरिंग सिस्टम की सबसे बड़ी विशेषता इसकी पारदर्शिता और तकनीकी मजबूती है। विभागीय अधिकारी किसी भी समय फोटो मांग सकते हैं और सिस्टम में दर्ज डेटा की तुलना कर सकते हैं। यदि किसी गतिविधि में गड़बड़ी पाई गई, तो स्कूल प्रमुख से लिखित जवाब मांगा जाएगा।
हाल ही में 20 से 22 अगस्त तक 38 जिलों के विभिन्न स्कूलों से रैंडम तस्वीरें मंगवाकर समीक्षा की गई। रिपोर्ट में यह सामने आया कि अधिकांश स्कूलों में गतिविधियां नए निर्देशों के अनुसार थीं। इसका मतलब है कि सिस्टम लागू होते ही इसका सकारात्मक असर दिखने लगा है।
इस व्यवस्था के लागू होने के बाद अब स्कूलों पर एक तरह का “अलर्ट मोड” का दबाव है। जो शिक्षक अब तक देर से आते थे या कक्षाओं को हल्के में लेते थे, अब उनसे जवाब मांगा जाएगा। वहीं, बच्चों को भी समय और अनुशासन का महत्व समझ में आएगा।