Newzfatafatlogo

बिहार चुनाव 2025: प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी का बड़ा दावा हुआ फेल

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी जन सुराज ने कई बड़े दावे किए, लेकिन चुनाव परिणामों ने उनके सभी दावों को गलत साबित कर दिया। 236 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई और पार्टी का वोट शेयर केवल 2% रहा। प्रशांत किशोर ने भ्रष्टाचार और शासन के मुद्दों को उठाया, लेकिन चुनाव में सफलता नहीं मिली। जानें इस चुनाव ने उन्हें क्या संदेश दिया और उनकी प्रतिक्रिया क्या रही।
 | 
बिहार चुनाव 2025: प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी का बड़ा दावा हुआ फेल

प्रशांत किशोर की पार्टी पर चर्चा


पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी जन सुराज ने काफी सुर्खियां बटोरीं। चुनाव से पहले प्रशांत किशोर ने कई बड़े दावे किए, जिसमें उन्होंने कहा कि यदि उनकी पार्टी को 125 से 130 सीटें नहीं मिलीं, तो वे इसे अपनी हार मानेंगे। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा था कि अगर जेडीयू 25 सीटें जीत गई, तो वे राजनीति छोड़ देंगे और बिहार छोड़कर चले जाएंगे।


दावों की असफलता

सभी दावे गलत साबित हुए


प्रशांत किशोर का एक और बड़ा दावा था कि नीतीश कुमार दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे और उनकी पार्टी 25 सीटें भी नहीं ला पाएगी। लेकिन चुनाव परिणामों ने उनके सभी दावों को गलत साबित कर दिया, जिससे उनकी राजनीतिक समझ पर सवाल उठने लगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के तीखे दावे किसी नेता के लिए सामान्य नहीं होते।


उम्मीदवारों की जमानत जब्त

236 उम्मीदवारों की जमानत जब्त


चुनाव परिणामों के अनुसार, जन सुराज के 238 उम्मीदवारों में से 236 की जमानत जब्त हो गई। इसका मतलब है कि लगभग 99% उम्मीदवारों ने इतनी वोट नहीं जुटाई कि अपनी जमानत बचा सकें। पार्टी का कुल वोट शेयर केवल 2% रहा, जो बेहद कम है। केवल एक उम्मीदवार, मढ़ौरा से नवीन कुमार सिंह, दूसरे स्थान पर रहे।


भ्रष्टाचार और शासन के मुद्दे

भ्रष्टाचार और शासन संबंधी मुद्दों को उठाया


चुनाव प्रचार के दौरान, प्रशांत किशोर ने भ्रष्टाचार और शासन से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने भाजपा के सम्राट चौधरी और जेडीयू के अशोक चौधरी पर गंभीर आरोप लगाए और तेजस्वी यादव पर भी तंज कसे। उनका मानना था कि नेताओं को निशाना बनाकर वे सरकार की एंटी इनकंबेंसी का लाभ उठाएंगे, लेकिन इसके विपरीत नीतीश कुमार के समर्थन में एक मजबूत लहर देखने को मिली।


प्रशांत किशोर का योगदान

प्रशांत किशोर को क्रेडिट मिलना चाहिए


हालांकि, यह भी सच है कि बिहार की राजनीति में मुद्दों को उठाने का श्रेय प्रशांत किशोर को जाता है। उन्होंने बेरोजगारी, पलायन, अपराध और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाया। लेकिन जब इन मुद्दों को वोट में बदलने की बात आई, तो जन सुराज के पास न तो मजबूत संगठन था और न ही वफादार वोट बैंक। यही मुद्दे बाद में एनडीए के लिए फायदेमंद साबित हुए।


प्रशांत किशोर की चुप्पी

प्रशांत किशोर ने प्रतिक्रिया नहीं दी


चुनाव परिणामों के बाद प्रशांत किशोर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। संभवतः उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि भीड़ और लोकप्रियता चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त नहीं होते। अब उनसे उन बयानों का जवाब मांगा जा रहा है, जिनमें उन्होंने जेडीयू की सीटों को लेकर चुनौती दी थी। सोशल मीडिया पर उनके बयान चर्चा का विषय बने हुए हैं। कुल मिलाकर, इस चुनाव ने प्रशांत किशोर को यह स्पष्ट संदेश दिया है कि केवल भाषण और भीड़ से चुनाव नहीं जीते जाते।