बिहार चुनाव के बाद BJP का बड़ा कदम: आर.के. सिंह को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया गया
बिहार में भाजपा का अप्रत्याशित निर्णय
बिहार: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए की ऐतिहासिक जीत के तुरंत बाद, भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और आरा के सांसद आर.के. सिंह को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित करने का निर्णय लिया। आर.के. सिंह ने कई महीनों से पार्टी गतिविधियों से दूरी बना रखी थी, और चुनावी अभियान के दौरान उनकी गतिविधियों को भाजपा ने गंभीर पार्टी-विरोधी आचरण के रूप में देखा। यह कदम तब उठाया गया है जब भाजपा और जदयू मिलकर बिहार में एक नई राजनीतिक संरचना स्थापित कर रहे हैं।
आर.के. सिंह की विवादास्पद टिप्पणियाँ
आर.के. सिंह की बयानबाजी से बढ़ा विवाद: चुनावी प्रचार के दौरान, आर.के. सिंह ने भाजपा की नीतियों और उम्मीदवार चयन प्रक्रिया पर कई बार सवाल उठाए। उन्होंने सार्वजनिक मंचों पर सम्राट चौधरी को तारापुर से वोट न देने की अपील की, जिससे पार्टी नेतृत्व में असहजता पैदा हुई। इसके अलावा, एनडीए द्वारा विवादित नेताओं को टिकट देने पर भी उन्होंने अपनी नाराजगी व्यक्त की। शाहाबाद क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वपूर्ण रैलियों में उनकी अनुपस्थिति ने यह संकेत दिया कि वे चुनावी रणनीति से खुद को अलग कर चुके हैं। पार्टी ने इसे संगठनात्मक अनुशासन का गंभीर उल्लंघन माना।
बिहार चुनाव परिणाम और एनडीए की सफलता
बिहार चुनाव परिणाम, NDA की जबर्दस्त सफलता: इस बार एनडीए गठबंधन ने 243 में से 202 सीटें जीतकर शानदार सफलता प्राप्त की। भाजपा ने 89, जदयू ने 85 और लोजपा (रामविलास) ने 19 सीटों पर जीत हासिल की। इस भारी जनादेश ने नीतीश कुमार और भाजपा के नेतृत्व में सरकार को एक मजबूत आधार प्रदान किया है। यह जीत बिहार की राजनीति में एनडीए की स्थिति को और अधिक मजबूत बनाती है।
महागठबंधन की कमजोरी
कमजोर साबित हुआ महागठबंधन: इस चुनाव में विपक्ष बहुत कमजोर साबित हुआ, और INDIA गठबंधन को कुल मिलाकर केवल 35 सीटों पर संतोष करना पड़ा। राजद 25 सीटों पर सिमट गया, जबकि कांग्रेस को छह, भाकपा (माले) को दो और माकपा को केवल एक सीट मिली। दूसरी ओर, एआईएमआईएम ने सीमांचल क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करते हुए पांच सीटें जीतीं। बसपा और इंडियन इंक्लूसिव पार्टी को एक-एक सीट मिली, लेकिन कुल मिलाकर विपक्ष बुरी तरह बिखरा हुआ नजर आया।
भाजपा का अनुशासन का संदेश
भाजपा का संदेश, अनुशासन सर्वोपरि: आर.के. सिंह को निष्कासित करने का निर्णय भाजपा की ओर से यह स्पष्ट संकेत है कि विशाल जनादेश मिलने के बावजूद पार्टी संगठनात्मक अनुशासन के मुद्दे पर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगी। पार्टी यह दिखाने का प्रयास कर रही है कि नेतृत्व की चुनौती चाहे कितनी भी बड़ी हो, संगठन के खिलाफ सार्वजनिक बयानबाजी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
