बिहार में मकर संक्रांति के बाद राजनीतिक हलचल: नीतीश कुमार की नई दिल्ली यात्रा
बिहार की राजनीति में बदलाव की आहट
बिहार में मकर संक्रांति के बाद दही चूड़ा का त्योहार राजनीतिक बदलाव का संकेत देता है। इस बार भी राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहली दिल्ली यात्रा के बाद कई अटकलें शुरू हो गई हैं। एक प्रमुख चर्चा राज्यसभा चुनाव को लेकर है। लोकसभा चुनाव के बाद दो सीटें खाली हुई थीं, जिनमें से एक पर भाजपा ने बार कौंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्र को भेजा, जबकि दूसरी सीट सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उपेंद्र कुशवाहा को दी गई। इस बार भाजपा पांच में से तीन सीटें अपने नाम करना चाहती है, जबकि दो सीटें जदयू के पास जाएंगी। मकर संक्रांति के तुरंत बाद नीतीश कुमार की सरकार का विस्तार होने की संभावना है।
यह ध्यान देने योग्य है कि 20 नवंबर को जब नीतीश कुमार ने शपथ ली थी, तब भाजपा के 14 मंत्री और जदयू के 9 मंत्री शामिल थे। इसके अलावा, लोक जनशक्ति पार्टी के दो और हम व रालोमो के एक-एक मंत्री बने थे। समझौते के अनुसार, जदयू को मुख्यमंत्री सहित 15 मंत्री पद मिले हैं, जिनमें से छह अभी खाली हैं। भाजपा के पास 16 मंत्री पद हैं, जिसमें से दो पद भी खाली हैं।
भाजपा के मंत्री नितिन नबीन अब राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए हैं, जिससे उनके कोटे का एक और पद खाली हो गया है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा अपने दो नए मंत्रियों को शपथ दिला सकती है, जबकि नीतीश कुमार की पार्टी के पांच सदस्य भी शपथ ले सकते हैं। इस बीच, नीतीश की पार्टी आईआईपी के आईपी गुप्ता और बसपा के पिंटू यादव को अपनी पार्टी में शामिल करने की कोशिश कर रही है। इन दोनों को मंत्री पद का प्रस्ताव दिया गया है। भाजपा की ओर से यह सस्पेंस है कि नितिन नबीन की जगह किस कायस्थ नेता को मौका मिलेगा। रितुराज सिन्हा और संजय मयूख भी मंत्री पद के दावेदार हैं। यदि नितिन नबीन राज्यसभा जाते हैं, तो उनकी बांकीपुर सीट पर उपचुनाव भी होगा।
