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बीएमसी चुनाव: ठाकरे परिवार की रणनीति और कांग्रेस की चुनौती

बृहन्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के चुनाव की तैयारी जोरों पर है। उद्धव ठाकरे ने अपने चचेरे भाई राज ठाकरे के साथ मिलकर चुनावी रणनीति बनाई है, जिससे कांग्रेस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। क्या कांग्रेस इस चुनाव में अपनी ताकत बनाए रख पाएगी? जानें इस महत्वपूर्ण चुनाव की सभी जानकारियाँ और ठाकरे परिवार की रणनीतियाँ।
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बीएमसी चुनाव: ठाकरे परिवार की रणनीति और कांग्रेस की चुनौती

बीएमसी चुनाव की तैयारी

भारत के सबसे अमीर नगर निकाय, बृहन्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी), के चुनाव का आयोजन जल्द ही होने वाला है। कई वर्षों तक टलने के बाद, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर यह चुनाव अगले महीने जनवरी या फरवरी में होगा। यह चुनाव सभी राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन ठाकरे परिवार के लिए यह विशेष महत्व रखता है। शिवसेना की नींव बीएमसी और मुंबई के पार्षदों पर आधारित है। इसलिए, उद्धव ठाकरे ने पहले से ही चुनाव की तैयारियों में जुटना शुरू कर दिया है। वे कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी के साथ महाविकास अघाड़ी में शामिल हैं, लेकिन अपनी अलग राजनीतिक दिशा में भी आगे बढ़ रहे हैं।


राज ठाकरे के साथ गठबंधन

उद्धव ठाकरे ने बीएमसी चुनाव के लिए अपने चचेरे भाई राज ठाकरे के साथ पुरानी दुश्मनी को भुलाकर दोस्ताना संबंध स्थापित किया है। दोनों के बीच सीटों को लेकर कई बार लंबी चर्चाएं हो चुकी हैं। हाल ही में, जब महाराष्ट्र की पार्टियां बीएमसी और अन्य निकायों के चुनावों के संबंध में मुख्य चुनाव अधिकारी से मिलने गईं, तो उद्धव ने राज ठाकरे को अपनी गाड़ी में साथ लिया। यह लगभग निश्चित है कि उद्धव की शिवसेना और राज की मनसे मिलकर चुनाव लड़ेंगे। इस स्थिति में कांग्रेस के लिए क्या स्थान बचेगा? शरद पवार की पार्टी का मुंबई में कोई विशेष आधार नहीं है, इसलिए वह समायोजित हो जाएगी, लेकिन कांग्रेस एक मजबूत राजनीतिक ताकत है।


कांग्रेस की भूमिका

कांग्रेस को यह तय करना होगा कि बीएमसी चुनाव में उसकी रणनीति क्या होगी। उद्धव और राज ठाकरे हिंदुत्व और मराठी मतदाताओं को एकजुट कर सकते हैं, लेकिन भाजपा को हराने के लिए उन्हें कांग्रेस की आवश्यकता होगी, क्योंकि मुंबई में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी महत्वपूर्ण है।