भारत और सिंगापुर के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने की बैठक

भारत-सिंगापुर व्यापारिक सहयोग की नई दिशा
नई दिल्ली: भारत और सिंगापुर ने हाल ही में एक संयुक्त कार्य समूह की बैठक का आयोजन किया, जिसमें द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने पर चर्चा की गई। इस बैठक में प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान, लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन में सुधार, नियामक ढांचे को सरल बनाने और सीमा पार व्यापार को सुविधाजनक बनाने के उपायों पर ध्यान केंद्रित किया गया। यह जानकारी शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान में दी गई।
बैठक में सेमीकंडक्टर क्षेत्र और व्यापार के डिजिटलीकरण जैसे क्षेत्रों में सहयोग की प्रगति की समीक्षा की गई। इसके अलावा, कौशल विकास और क्षमता निर्माण के लिए अन्य उभरते क्षेत्रों में संभावित साझेदारियों की खोज की गई। बयान में यह भी कहा गया कि दोनों पक्ष इन अवसरों को ठोस परिणामों में बदलने के लिए निरंतर संपर्क के महत्व पर सहमत हुए। भारत-सिंगापुर व्यापार एवं निवेश संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजीटीआई) की चौथी बैठक गुरुवार को नई दिल्ली में वाणिज्य भवन में आयोजित की गई।
इस बैठक की सह-अध्यक्षता वाणिज्य विभाग के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल और सिंगापुर के व्यापार एवं उद्योग मंत्रालय के स्थायी सचिव डॉ. बेह स्वान जिन ने की। यह बैठक एक दिन पहले आयोजित तीसरे भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन (आईएसएमआर) के बाद हुई। अग्रवाल ने कहा कि भारत और सिंगापुर के संबंध पारंपरिक व्यापार से आगे बढ़ चुके हैं। हालांकि दोनों देशों के बीच पहले से ही मजबूत व्यापारिक संबंध हैं, फिर भी आगे सहयोग के लिए कई अवसर मौजूद हैं।
वर्ष 2025 भारत और सिंगापुर के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ और व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए) की 20वीं वर्षगांठ का प्रतीक है। 2005 में हस्ताक्षरित सीईसीए, भारत द्वारा किसी भी साझेदार के साथ किया गया पहला व्यापक व्यापार समझौता था और सिंगापुर का किसी दक्षिण एशियाई देश के साथ ऐसा पहला समझौता था।
सिंगापुर, आसियान के भीतर भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जिसका 2024-25 के दौरान कुल द्विपक्षीय व्यापार 34.26 अरब डॉलर होने का अनुमान है। यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) स्रोत भी है, जिसमें अप्रैल 2000 से जुलाई 2024 के बीच 163.85 अरब डॉलर (11,24,509.65 करोड़ रुपए) का इक्विटी प्रवाह हुआ, जो भारत के कुल प्रवाह का लगभग 24 प्रतिशत है।