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भारत का समुद्री व्यापार: 200 नए जहाजों की खरीदारी की योजना

भारत ने समुद्री व्यापार में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए 1.30 लाख करोड़ रुपये की लागत से 200 नए मालवाहक जहाजों की खरीदारी की योजना बनाई है। यह कदम विदेशी जहाजों पर निर्भरता को कम करने और भारतीय जहाजों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है। जानें इस योजना की आवश्यकता, पुरानी योजनाओं की असफलता और भारतीय जहाजों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में।
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भारत का समुद्री व्यापार: 200 नए जहाजों की खरीदारी की योजना

भारत की नई समुद्री योजना

नई दिल्ली: भारत, जो कि एक प्रमुख आयातक और निर्यातक बनने की दिशा में अग्रसर है, ने समुद्री शक्ति को बढ़ाने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना बनाई है। सरकार ने 1.30 लाख करोड़ रुपये की लागत से 200 नए मालवाहक जहाजों की खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस कदम का उद्देश्य विदेशी जहाजों पर निर्भरता को कम करना और समुद्री व्यापार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनना है।


नए जहाजों की आवश्यकता

क्यों आवश्यक हैं नए जहाज?
यह पहल इसलिए की जा रही है क्योंकि मौजूदा योजना भारतीय जहाजों को बढ़ावा देने में असफल रही है। वर्तमान में, भारत के समुद्री व्यापार का केवल 8% माल भारतीय ध्वज वाले जहाजों द्वारा परिवहन किया जाता है, जिससे हर साल लगभग 70 बिलियन डॉलर (लगभग 5.8 लाख करोड़ रुपये) की विदेशी मुद्रा खर्च होती है।


सरकार की नई योजना

सरकार का मेगा प्लान क्या है?
एक रिपोर्ट के अनुसार, इस योजना के तहत 1.30 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 200 नए जहाजों का अधिग्रहण किया जाएगा, जिनकी कुल क्षमता 8.6 मिलियन ग्रॉस टन होगी। ये जहाज सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा संयुक्त रूप से स्वामित्व में होंगे, और यह 'मेक इन इंडिया' पहल को भी प्रोत्साहित करेगा, क्योंकि इनका निर्माण भारतीय शिपयार्ड में किया जाएगा।


पुरानी योजना की असफलता

क्यों असफल रही थी पुरानी योजना?
केंद्र सरकार ने जुलाई 2021 में भारतीय जहाजों को बढ़ावा देने के लिए 1,624 करोड़ रुपये की सब्सिडी योजना को मंजूरी दी थी। हालांकि, यह योजना सफल नहीं हो पाई और अब तक केवल 330 करोड़ रुपये का वितरण हुआ है।


भारतीय जहाजों की चुनौतियाँ

भारतीय जहाजों के सामने क्या चुनौतियाँ हैं?
भारतीय जहाजों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी परिचालन लागत विदेशी जहाजों की तुलना में लगभग 20% अधिक है। उच्च ब्याज दरें, कम अवधि के लोन और भारतीय नाविकों के वेतन पर टैक्स जैसे कारक इसकी मुख्य वजह हैं। इसके अलावा, भेदभावपूर्ण GST नीति भी भारतीय जहाजों की प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रभावित करती है।


INSA की मांग

इंडियन नेशनल शिपऑनर्स एसोसिएशन (INSA) ने लंबे समय से इन शुल्कों और करों को कम करने की मांग की है। सरकार की यह नई योजना तभी सफल हो सकेगी जब इन बुनियादी चुनौतियों का समाधान किया जाए।