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मणिपुर में मोहन भागवत का संदेश: भारत की संस्कृति और आत्मनिर्भरता की आवश्यकता

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर में भारतीय संस्कृति और समाज की मजबूती पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि भारत की सांस्कृतिक विरासत सदियों से अक्षुण्ण है और समाज की स्थिरता का आधार है। भागवत ने आत्मनिर्भरता की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला, यह कहते हुए कि देश की सुरक्षा और समृद्धि तभी संभव है जब अर्थव्यवस्था मजबूत हो। उनके विचारों में यह संदेश है कि हिंदू समाज की भूमिका वैश्विक दिशा में महत्वपूर्ण है।
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मणिपुर में मोहन भागवत का संदेश: भारत की संस्कृति और आत्मनिर्भरता की आवश्यकता

मोहन भागवत का मणिपुर दौरा


नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत वर्तमान में मणिपुर की यात्रा पर हैं। शुक्रवार को एक कार्यक्रम में उन्होंने भारतीय संस्कृति, समाज की मजबूती और राष्ट्र की दीर्घकालिक पहचान पर गहन चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत सदियों से एक ऐसी संस्कृति का प्रतीक रहा है, जिसने समय-समय पर दुनिया को मार्गदर्शन किया है।


भारत की स्थिरता का रहस्य

सभ्यताएं आईं और गईं, लेकिन भारत आज भी खड़ा है


भागवत ने बताया कि कई प्राचीन सभ्यताएं समय के साथ समाप्त हो गईं, जैसे यूनान, मिस्र और रोम। उन्होंने कहा कि इतिहास ने कई महान साम्राज्यों के उत्थान और पतन को देखा है, लेकिन भारत की सांस्कृतिक विरासत हजारों सालों से अक्षुण्ण बनी हुई है। उन्होंने कहा कि परिस्थितियां बदलती रहती हैं, लेकिन भारत जैसी सभ्यता को कोई मिटा नहीं सकता।


उन्होंने यह भी कहा कि भारत की स्थिरता का कारण समाज का वह बुनियादी ढांचा है, जो आपसी संबंधों और संस्कृति की जड़ों पर आधारित है। यदि हिंदू समाज कमजोर होगा, तो दुनिया भी अपनी दिशा खो देगी। भागवत ने हिंदू समाज की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि धर्म का सही अर्थ और मूल्यों का संरक्षण भारत की सभ्यता ही करती है।


ब्रिटिश साम्राज्य का अंत

ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य भारत में अस्त हुआ


भागवत ने स्वतंत्रता आंदोलन की लंबी यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि किसी भी दमनकारी शक्ति को जनमत और जनशक्ति के सामने टिके रहना संभव नहीं। उन्होंने बताया कि ब्रिटिश साम्राज्य को अजेय माना जाता था, लेकिन भारत ने 90 वर्षों के संघर्ष के बाद उन्हें पराजित कर दिया।


उन्होंने यह भी कहा कि नक्सलवाद जैसी चुनौतियों का समाधान तभी संभव हुआ जब समाज ने सामूहिक रूप से निर्णय लिया कि वह ऐसी हिंसा को स्वीकार नहीं करेगा। जब समाज दृढ़ निश्चय करता है, तब किसी भी समस्या का अंत निश्चित हो जाता है।


आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम

भारत को आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना होगा


भागवत ने आर्थिक और सामरिक क्षमता पर जोर देते हुए कहा कि किसी भी देश की सुरक्षा और समृद्धि तभी सुनिश्चित हो सकती है जब उसकी अर्थव्यवस्था मजबूत और आत्मनिर्भर हो। उन्होंने कहा कि भारत को किसी भी क्षेत्र में दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। हमारी सैन्य, आर्थिक और ज्ञान क्षमता इतनी मजबूत होनी चाहिए कि हम हर स्थिति का सामना कर सकें।


उन्होंने यह भी कहा कि देश का लक्ष्य यह होना चाहिए कि कोई नागरिक भूखा, बेरोजगार या वंचित न रहे, बल्कि हर व्यक्ति सम्मान और आनंद के साथ जीवन जी सके।