महाराष्ट्र में भाषा विवाद पर राज्यपाल का महत्वपूर्ण बयान

राज्यपाल की चेतावनी
महाराष्ट्र में चल रहे भाषा विवाद पर राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि लोगों को मराठी या तमिल जैसी भाषाएँ बोलने के लिए मजबूर किया गया, तो इससे राज्य को नुकसान होगा। राज्यपाल ने यह भी बताया कि किसी भी भाषा को थोपना राज्य के विकास के लिए अनुकूल नहीं है।राज्यपाल ने चेतावनी दी कि ऐसी 'भाषाई जबरदस्ती' से राज्य आर्थिक रूप से पिछड़ सकता है और प्रतिभा पलायन का सामना कर सकता है। उन्होंने कहा कि यदि लोगों को अपनी पसंद की भाषा बोलने या कार्य करने से रोका गया, तो नई कंपनियाँ महाराष्ट्र में आने से हिचकिचाएँगी और मौजूदा प्रतिभाएँ भी राज्य छोड़ सकती हैं।
उन्होंने भाषा की विविधता और समावेशिता पर जोर दिया, यह कहते हुए कि सभी भाषाओं को बढ़ावा देना चाहिए। मराठी का महत्व अपनी जगह है, लेकिन इसे किसी पर थोपना नहीं चाहिए। वैश्वीकरण के इस युग में, मराठी के साथ-साथ अंग्रेजी और हिंदी जैसी भाषाएँ भी राष्ट्रीय एकता और व्यावसायिक अवसरों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
राज्यपाल का मानना है कि भाषाई सामंजस्य और लोगों को अपनी सुविधा के अनुसार भाषाओं का उपयोग करने की स्वतंत्रता राज्य के विकास में सहायक होगी। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब कुछ समूहों द्वारा भाषाई शुद्धता को लेकर विवाद बढ़ रहा है। उनके इस दृष्टिकोण से महाराष्ट्र के भविष्य के लिए एक संतुलित संदेश मिलता है।