योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में महंतों की पुण्यतिथि पर कृतज्ञता का महत्व बताया

गोरखपुर में श्रद्धांजलि समारोह
गोरखपुर। गोरक्षपीठ के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कर्ता के प्रति आभार व्यक्त करना सनातन धर्म का मूल संस्कार है। उन्होंने बताया कि भारतीय ज्ञान परंपरा में यह बात स्पष्ट की गई है कि हमें समाज और राष्ट्र के प्रति योगदान देने वालों के प्रति कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए।
सीएम योगी ने युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी की 56वीं और महंत अवेद्यनाथ जी की 11वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में श्रद्धासुमन अर्पित किए।
उन्होंने रामायण में हनुमानजी और मैनाक पर्वत के संवाद का उल्लेख करते हुए कहा कि यह भाव सनातन से जुड़ा हुआ है। आश्विन माह का कृष्ण पक्ष पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए समर्पित है। गोरक्षपीठ में महंतों की पुण्य स्मृति में आयोजित यह कार्यक्रम भी इसी भावना का प्रतीक है।
मुख्यमंत्री ने महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ का स्मरण करते हुए कहा कि ये दोनों महंत समाज और राष्ट्र के हर मुद्दे पर सनातन धर्म के प्रति प्रतिबद्ध रहे।
महंत दिग्विजयनाथ जी ने शिक्षा, सेवा और राष्ट्रीयता के मूल्यों को स्थापित किया, जिन्हें महंत अवेद्यनाथ जी ने आगे बढ़ाया। इन दोनों ने हमेशा देश और धर्म को प्राथमिकता दी। गोरक्षपीठ आज भी उनके बताए मार्ग का अनुसरण कर रहा है।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का महत्व
सीएम योगी ने कहा कि महंत दिग्विजयनाथ जी ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सशक्त राष्ट्र की नींव माना। उन्होंने 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की, जो देश की गुलामी के समय में कृतज्ञता का प्रतीक थी।
गोरखपुर में विश्वविद्यालय की स्थापना के समय उन्होंने महाराणा प्रताप महाविद्यालय और महिला विद्यालय दान में दिए। यह कार्य श्रेय के लिए नहीं था, बल्कि शिक्षा के हर क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए किया गया। महंत अवेद्यनाथ जी ने भी इस दिशा में कार्य जारी रखा।
श्रीराम मंदिर निर्माण में योगदान
सीएम योगी ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण में महंतों के योगदान का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि महंत दिग्विजयनाथ जी ने इस कार्य का शुभारंभ किया और महंत अवेद्यनाथ जी ने जीवनभर इसके लिए संघर्ष किया।
सामाजिक समरसता के लिए प्रयासरत
मुख्यमंत्री ने कहा कि महंत अवेद्यनाथ जी ने समाज में समरसता को बढ़ावा देने के लिए हमेशा प्रयास किए और अश्पृश्यता के खिलाफ आवाज उठाई।