राजस्थान में जालोर के पास रिंग रोड निर्माण की योजना

राजस्थान में रिंग रोड का निर्माण
राजस्थान समाचार : भविष्य में जालोर शहर के निकट रिंग रोड का निर्माण किया जाएगा, जो बड़े शहरों और भारतमाला एक्सप्रेस-वे की तर्ज पर होगा। इस महत्वपूर्ण परियोजना के लिए डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार की जाएगी। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है।
पीडब्ल्यूडी द्वारा इस परियोजना के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए हैं। यह प्रक्रिया 30 जून से आरंभ होगी, जिसके बाद एक महीने के भीतर एजेंसी का चयन किया जाएगा। इसके बाद, चयनित एजेंसी छह महीने में रिपोर्ट तैयार करेगी। यह परियोजना राज्य बजट 2025 में घोषित की गई थी और अब इसे वास्तविकता में बदलने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।
प्रारंभिक स्वीकृति प्राप्त
बजट घोषणा के बाद, राज्य सरकार ने इस महत्वपूर्ण परियोजना के लिए प्रारंभिक और प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की है। एजेंसी द्वारा 1 करोड़ 10 लाख रुपए की लागत से डीपीआर का निर्माण किया जाएगा। इसके बाद, परियोजना के कार्यान्वयन के दौरान विभिन्न स्तरों पर प्रश्न, संशोधन और कमियों को दूर करते हुए कार्य किया जाएगा।
रूट और अलाइनमेंट का निर्धारण
परियोजना के कार्यान्वयन से पहले संभावित रूट और विकल्पों की पहचान की जाएगी। डीपीआर में एजेंसी द्वारा परियोजना की डिजाइन, अलाइनमेंट और संभावित मार्ग के विकल्प प्रस्तुत किए जाएंगे। विभागीय स्तर पर सहज और सुगम रूट का चयन किया जाएगा, और अंततः सबसे उपयुक्त विकल्प को अंतिम रूप दिया जाएगा।
रूट के विकल्पों पर चर्चा
हालांकि परियोजना का कार्यान्वयन डीपीआर के बनने के बाद ही तय होगा, लेकिन विभागीय स्तर पर बिशनगढ़ से नेशनल हाईवे 325 के माध्यम से रिंग रोड का निर्माण एक बेहतर विकल्प माना जा रहा है। इस विकल्प में नेशनल हाईवे 325 से सांफाड़ा-कोलर फांटा, भागली, गोल निंबड़ी होते हुए लेटा के पास रिंग रोड की कनेक्टिविटी की संभावना है। यह रिंग रोड लगभग 30 से 35 किमी लंबा हो सकता है।
महत्वपूर्ण ट्रैफिक राहत परियोजना
जालोर जिले की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे शहर का दायरा भी बढ़ रहा है। यह परियोजना महत्वपूर्ण और दूरगामी है। इसके कार्यान्वयन से जालोर के आसपास ट्रैफिक राहत कॉरिडोर बनेगा, जिससे शहरी यातायात व्यवस्था में सुधार होगा। ग्रेनाइट उद्योग को भी इसका अधिक लाभ मिलेगा, क्योंकि भारी कंटेनर, लोडर और ट्रेलर को आबादी वाले क्षेत्रों में प्रवेश करने की आवश्यकता नहीं होगी। इसी उद्देश्य से राज्य सरकार के मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने व्यक्तिगत रूप से इस परियोजना की स्वीकृति के लिए प्रयास किए थे।